रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के विष्‍णुदेव साय कैबिनेट का आज विस्‍तार हो गया है। 9 नए मंत्रियों के साथ अब कैबिनेट में मुख्‍यमंत्री सहित 12 मंत्री हो गए हैं। मंत्रिमंडल के गठन में न केवल क्षेत्रीय बल्कि जातिगत समीकरण का भी पूरा ध्‍यान रखा गया है। राज्‍य में अब तक बनी 5 कैबिनेट से इस बार का कैबिनेट काफी अलग है। इस बार कैबिनेट का पूरा समीकरण पूरी तरह बदला हुआ है। इसमें सामान्‍य और अनुसूचित जनजाति का कोटा घटा दिया गया है। इससे पहले भूपेश बघेल की कैबिनेट में 4 एसटी मंत्री थे। 3 ओबीसी। 2 एससी। 3 सामान्‍य और एक अल्‍प संख्‍यक वर्ग के मंत्री थे।

राज्‍य की नई विष्‍णुदेव सरकार के 12 मंत्रियों में 3 आदिवासी (एसटी) 6 अन्‍य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 1 अनुसूचित जाति (एससी) और दो सामान्‍य वर्ग के हैं। संभागवार देखा जाए तो सबसे ज्‍यादा 14 सीट देने वाले सरगुजा संभाग से 4 मंत्री बनाए गए हैं। मुख्‍यमंत्री साय, राम विचार नेताम, श्‍याम बिहारी जायसवाल और लक्ष्‍मी राजवाड़े इसी संभाग से हैं। इसके बाद सबसे ज्‍यादा 3 मंत्री बिलासपुर संभाग से बनाए गए हैं। इनमें डिप्‍टी सीएम अरुण साव, ओपी चौधरी और लखनलाल देवांगन शामिल हैं। रायपुर और दुर्ग संभाग से 2-2 मंत्री हैं। दुर्ग संभाग से डिप्‍टी सीएम विजय शर्मा और दयाल दास बघेल वहीं, रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल और टंकराम वर्मा शामिल हैं। बस्‍तर संभाग से एक मात्र केदार कश्यप को मंत्रिमंडल में स्‍थान दिया गया है। बताते चले कि विधानसभा अध्‍यक्ष डॉ. रमन सिंह दुर्ग संभाग से हैं, वहीं भाजपा के नए प्रदेश अध्‍यक्ष किरण देव बस्‍तर संभाग से आते हैं।

जानिए…छत्‍तीसगढ़ कैबिनेट में कितने ओबीसी मंत्री

स्‍पष्‍ट है कि इस बार आदिवासी और सामान्‍य वर्ग के मंत्रियों की संख्‍या कम करके ओबीसी मंत्री बढ़ाए गए हैं। 12 में से 50 प्रतिशत मंत्री ओबीसी वर्ग से हैं। इनमें डिप्‍टी सीएम भी शामिल हैं। ओबीसी मंत्रियों की संख्‍या बढ़ा जाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव है। प्रदेश की आबादी में सबसे बड़ा हिस्‍सा ओबीसी का है। राज्‍य की कुल आबादी में लगभग 32 प्रतिशत एसटी और 13 प्रतिशत एससी हैं। लगभग 42 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है। बाकी सामान्‍य वर्ग के हैं। इसी हिसाब से मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्‍व दिया गया है।

राज्‍य कैबिनेट पर राष्‍ट्रीय राजनीति का असर

राज्‍य कैबिनेट में ओबीसी मंत्रियों की संख्‍या बढ़ाए जाने को राजनीतिक विश्‍लेषक राष्‍ट्रीय राजनीति का असर बता रहे हैं। माना जा रहा है कि बिहार में जातिगत जनगणना के बाद जिस तरह से ओबीसी को लेकर राजनीति गरमाई है उसे देखते हुए ही प्रदेश सरकार में ओबीसी मंत्रियों की संख्‍या बढ़ाई गई है। छत्‍तीसगढ़ सहित 5 राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ओबीसी का मुद्दा जमकर उठाया था। लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा गरमा सकता है। भाजपा ने ओबीसी मंत्री की संख्‍या बढ़ाकर विपक्ष की राजनीति को खत्‍म करने का प्रयास किया है। राज्‍य कैबिनेट में मंत्री बनाए गए सभी छह ओबीसी मंत्री अगल-अलग वर्ग के हैं। लखनलाल देवांगन के रुप में पहली बार कोष्‍ठा वर्ग का मंत्रिमंडल में स्‍थान दिया गया है।

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