दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. एक जो खाने के लिए जीते हैं और दूसरे जो जीने के लिए खाते हैं. दूसरे वाले लोग संत-महात्मा जैसे विचारों के होते हैं पर पहले वाले आम जनता का बड़ा हिस्सा हैं जिन्हें अलग-अलग तरह के व्यंजनों को टेस्ट करना बहुत पसंद है. वो खाने के लिए दूर-दूर तक यात्राएं कर अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट तक जाने में भी परहेज नहीं करते हैं. खाने-पानी के बिना इंसान का रहना असंभव है, पर एक महिला ने पिछले 8 सालों (Woman not eaten in 8 years) से अन्न का एक दाना नहीं खाया है और पानी की एक बूंद नहीं पी है. सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि ये महिला पेशे से शेफ (Chef cannot eat food) है, वो रोज लोगों के लिए रेस्टोरेंट में खाना बनाती है, पर उसके बावजूद भी वो खाना नहीं खा सकती.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के डॉर्सेट (Dorset, Britain) की रहने वाली 31 साल की लॉरेटा हार्म्स (Loretta Harmes) एक शेफ हैं. वो दूसरों को खाना खिलाती हैं पर कभी खुद नहीं खा सकतीं. वो इसलिए कि अगर गलती से भी उन्होंने खाना खा लिया, तो दर्द से उनकी जान निकल सकती है. आखिर उन्हें ऐसी क्या समस्या है? आपको बता दें कि 8 सालों से उन्होंने खाना नहीं खाया, यहां तक कि पानी भी नहीं पिया है. उनका बचपन आम बच्चों जैसा ही था. वो सब कुछ खा-पी लेती थीं पर खाने के बाद अचानक उनके पेट में दर्द होने लगता था. कभी-कभी उनका पेट खराब हो जाता पर वो खाना खाती रहती थीं.

8 सालों से नहीं खाया खाना

उन्हें खाना बनाने का बहुत शौक था, इसलिए वो शेफ भी बनीं, पर वो खाना टेस्ट नहीं कर पाती हैं. जब वो 18 साल की थीं, तब एक दिन वो सोकर उठीं और उनके पेट में बेहिसाब दर्द होने लगा. सालों तक डॉक्टरों ने उनकी जांच की और पता लगाने की कोशिश हुई कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. उन्होंने अपनी डाइट बदली, अलग-अलग तरह के खाने को ट्राय किया पर कोई फायदा नहीं हुआ. साल 2015 में उन्हें पता चला कि वो आम लोगों की तरह नहीं खा सकती हैं क्योंकि उन्हें Ehlers-Danlos syndrome है जिसकी वजह से उन्हें गैस्ट्रोपेरिएसिस (gastroparesis) बीमारी हो गई. इसका अर्थ ये हुआ कि उनके पेट में लकवा मार गया था. पेट खाना हजम कर छोटी आंत में खाने को नहीं पहुंचा पा रहा था. वो जो भी खातीं, वो उनके पेट में ही रह जाता.

कैसे हैं जिंदा?

अब सवाल ये उठता है कि जब वो खाना और पानी दोनों ही चीजें नहीं खा सकती हैं तो फिर वो जिंदा कैसे हैं. दरअसल, एक ट्यूब उनके दिल के पास शरीर के अंदर डाला गया है. उसकी मदद से जरूरी पोषक तत्त्वों को पदार्थ के जरिए सीधे उनके खून में डाला जाता है. हर दिन, 18 घंटे के लिए वो एक बैग का प्रयोग करती हैं जिसमें तरल पदार्थ पड़ा होता है. बैग के अंदर मौजूद पदार्थ में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स, विटामिन्स, मिनिरल्स और इलेक्ट्रोलाइट तक मौजूद होते हैं. वो खुद कुछ नहीं खा सकती हैं पर कुकिंग उनका पैशन है, इसलिए वो दूसरों को बनाकर खिलाती हैं. कई बार वो इतनी कमजोर हो जाती हैं कि उन्हें व्हीलचेयर की जरूरत पड़ती है, कई बार ट्यूब बदलते वक्त उन्हें इंफेक्शन भी हो जाते हैं पर वो जिंदगी जीने के अपने तरीके को हमेशा एक समान ही कायम रखती हैं.

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