
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: हाईवे पर अचानक वाहन रोकना खतरनाक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर वाहन चलाने वाले ड्राइवरों के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई चालक बिना किसी संकेत या चेतावनी के हाईवे पर अचानक ब्रेक लगाता है, तो सड़क दुर्घटना की स्थिति में उसे लापरवाह माना जाएगा।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मंगलवार को यह टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि तेज रफ्तार वाहनों की सड़क पर इस तरह की हरकत अन्य वाहन चालकों के जीवन के लिए जोखिम बन सकती है।

हाईवे पर सावधानी अनिवार्य, सिर्फ निजी कारणों से रोकना उचित नहीं
जस्टिस धूलिया ने कहा –
“राजमार्ग पर वाहन रोकने से पहले ड्राइवर की जिम्मेदारी है कि वह पीछे चल रहे वाहनों को साफ संकेत या चेतावनी दे। निजी आपात स्थितियों में भी अचानक ब्रेक लगाना लापरवाही मानी जाएगी।”
इंजीनियरिंग छात्र की टांग गई, हादसे में कार-बस दोनों ड्राइवर जिम्मेदार
यह फैसला तमिलनाडु के इंजीनियरिंग छात्र एस. मोहम्मद हकीम की याचिका पर आया है।
हकीम की बाइक जनवरी 2017 में एक कार से टकरा गई जो बिना चेतावनी के रुक गई थी। हादसे के बाद पीछे से आई बस ने हकीम को टक्कर मारी और उनका बायां पैर काटना पड़ा।
कोर्ट ने गर्भवती पत्नी की दलील को किया खारिज
कार चालक ने कहा कि उसकी गर्भवती पत्नी को उल्टी आने लगी थी, इसलिए उसने अचानक ब्रेक लगाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार्य दलील करार देते हुए कहा कि यह व्यवहार हाईवे के नियमों के विरुद्ध है।
कोर्ट ने तय किया लापरवाही का प्रतिशत
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कार चालक – 50% लापरवाह
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बस चालक – 30% लापरवाह
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याचिकाकर्ता (हकीम) – 20% सहभागी लापरवाह
पीड़ित को मिलेगा ₹1.14 करोड़ का मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हकीम को ₹1.14 करोड़ का मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन उनकी 20% लापरवाही के कारण राशि में कटौती होगी। बीमा कंपनियों को आदेश दिया गया है कि चार हफ्तों के भीतर भुगतान किया जाए।
