खनिज विभाग ने लक्षनपुर, अमलडीहा व उदईबंद रेत घाट को ठेके पर देने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर आज सूचना जारी की गई। इन तीन रेत खदानों को ठेके पर पर लेने के लिए 3 से 9 फरवरी तक बोली लगाई जा सकेगी। इस बार दो बातें नई हैं। पहली तो ये कि रेत के रेट बढ़ जाएंगे क्योंकि लोडिंग चार्ज प्रति घनमीटर 90 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए किया गया है।
जबकि दूसरी बात ये है कि एक व्यक्ति को एक ही घाट का ठेका मिलेगा। कलेक्टर कार्यालय के अंतर्गत खनिज शाखा ने रेत खदानों के आबंटन की सूचना जारी करते हुए बताया कि तीन घाटों को नीलाम किया जाना है। इसके लिए बंद लिफाफे में बोली आमंत्रित की जा रही है।
लोडिंग चार्ज में 30 रुपए की वृद्धि, मूल निवासी ही ले सकेंगे ठेका
प्रति हाइवा एक हजार महंगा होने का अनुमान
नए घाटों के ठेके के बाद रेत और महंगी हो जाएगी। वह इसलिए क्योंकि नए ठेके में सीलिंग प्राइज की कीमत 90 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए की गई है। यानी 2019 में रेत घाटों का ठेका देते समय प्रति घनमीटर रेत की लोडिंग का चार्ज 90 रुपए था, जिसे बढ़कर 120 रुपए कर दिया गया है।
ऐसे में जब ठेकेदार ज्यादा लोडिंग चार्ज शासन के खाते में जमा करेंगे तो वाहन मालिकों से ज्यादा वसूली भी करेंगे। वे अपनी जेब भी ज्यादा भरेंगे। इसकी वजह से वाहन मालिक लोगों काे अधिक कीमत पर रेत देंगे और लोगों को मुश्किल होगी। रेत की कीमत पहले से ही अधिक है। सीलिंग प्राइज बढ़ने से कीमत प्रति हाइवा एक हजार रुपए तक बढ़ने का अनुमान है।
तीन चौथाई सदस्य मूल निवासी हो
यदि कोई व्यक्ति बोली लगाता है तो उसका छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना अनिवार्य है। इसके लिए उसे पेन कार्ड, टिन नंबर, जीएसटी नंबर, आधार कार्ड, शपथ पत्र के साथ ही मूल निवास प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा। पिछली बार भी उन्हीं लोगों को रेत घाट का ठेका दिए जाने का दावा अधिकारियों ने किया था जो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी थे। हालांकि शिकायतें भी मिलती रही कि बाहरी लोगों ने ठेका ले लिया है।
तो स्वत: ही निरस्त हो जाएगी
उच्चतम निर्धारित मूल्य से 60 फीसदी से कम की बोली लगाने की स्थिति में नीलामी के लिए निर्धारित बोली प्रतिभूति से दोगुनी राशि बोली प्रतिभूति के तौर पर जमा करनी होगी। राशि जमा नहीं कर पाने की स्थिति में बोली निरस्त माना जाएगा। उच्चतम निर्धारित मूल्य से किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत के नीचे बोली नहीं लगाई जा सकेंगी। 50 फीसदी से कम बोली प्रस्तुत करने पर बोली स्वत: निरस्त मानी जाएगी।
शराब के समान ही रेत ठेके का क्रेज, मिले थे 1227 आवेदन
जिले में एक समय में शराब दुकानों का ठेका लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती थी। कलेक्टोरेट में मेले जैसा माहौल रहता। शराब लॉबी हावी रहती और अलग-अलग समूह में अपने लोगों के नाम पर आवेदन जमा करवाती। लेकिन जब से शराब दुकानें शासकीय हुई हैं, ठेका सिस्टम खत्म हो चुका है। अब शराब की तरह ही रेत घाटों का ठेका लेने के लिए रसूखदार लोग लालायित रहते हैं।
रेत मतलब भारी फायदे का धंधा माना जाता है। यहीं कारण है कि रसूखदारों की नजर रेत घाटों की नीलामी पर रहती है। यहीं वजह है के अक्टूबर व दिसंबर 2019 में जब 22 घाटों की दो चरणों में नीलामी के लिए सूचना निकाले जाने पर 1227 आवेदन जमा हुए। इससे खनिज विभाग को 1.22 करोड़ रुपए की आय हुई। हालांकि दो समूह की चार खदानों को शासन ने निरस्त कर दिया।