एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की अहम मुलाकात — द्विपक्षीय रिश्तों और वैश्विक चुनौतियों पर हुई विस्तृत चर्चा

कुआलालंपुर में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio) के बीच एक अहम कूटनीतिक बैठक हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने, क्षेत्रीय स्थिरता, और वैश्विक व्यापार सहयोग जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हुई चर्चा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर पोस्ट करते हुए लिखा —

“आज सुबह कुआलालंपुर में मार्को रुबियो से मिलकर खुशी हुई। हमने द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सार्थक चर्चा की।”

इस मुलाकात को भारत-अमेरिका के बढ़ते कूटनीतिक सहयोग के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को मिल सकता है नया आयाम

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (Trade Deal) को लेकर चर्चा चल रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बैठक से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई दिशा मिल सकती है और निवेश सहयोग को भी बल मिलेगा।

भारत ‘जल्दबाजी’ में नहीं करेगा कोई समझौता — पीयूष गोयल

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत किसी भी व्यापार समझौते में जल्दबाजी नहीं करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ऐसे किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जो उसकी व्यापारिक स्वतंत्रता या दीर्घकालिक रणनीति को सीमित करे।

गोयल ने कहा —

“व्यापार समझौते सिर्फ टैरिफ या मार्केट एक्सेस तक सीमित नहीं हैं। ये विश्वास और दीर्घकालिक रिश्तों की नींव पर टिके होते हैं।”

दीर्घकालिक सहयोग और विश्वास पर आधारित होगा नया ढांचा

जयशंकर ने इस मुलाकात के दौरान इस बात पर जोर दिया कि भारत और अमेरिका का भविष्य का व्यापार सहयोग सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि साझा विश्वास, पारदर्शिता और आपसी विकास पर आधारित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता एक संतुलित और टिकाऊ व्यापारिक संबंध बनाना है जो आने वाले दशकों तक दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो।

भारत का सतर्क लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण

भारत अब भी अपने कूटनीतिक और आर्थिक कदमों में सतर्क और रणनीतिक रुख अपनाए हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम उसे वैश्विक आर्थिक मंचों पर एक सशक्त और स्वायत्त आवाज़ के रूप में स्थापित करेगा।

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