
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बोरे-बासी दिवस के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। ये खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त दस्तावेजों से हुआ है। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 से 2024 के बीच, बिना निविदा (टेंडर) के करीब 14 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
RTI दस्तावेजों के अनुसार खर्च का ब्यौरा:

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2020: 3 करोड़ रुपए का कार्य मेसर्स शुभम किराया भंडार को बिना टेंडर दिया गया।
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2023: 8.32 करोड़ का आयोजन मेसर्स व्यापक इंटरप्राइजेस को सौंपा गया, वो भी बिना निविदा।
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2024: फिर से उसी कंपनी को लगभग 3 करोड़ का कार्य बिना टेंडर दे दिया गया।
RTI कार्यकर्ता का आरोप: “हर साल वही कंपनी, बिना टेंडर – ये खुला भ्रष्टाचार है”
RTI एक्टिविस्ट आशीष सोनी ने आरोप लगाया कि,
“हर साल बोरे-बासी के नाम पर एक ही कंपनी को लाखों-करोड़ों का काम सौंपा गया, वह भी बिना किसी सरकारी प्रक्रिया के। यह गहरी मिलीभगत और भ्रष्टाचार की निशानी है।”
कांग्रेस की सफाई: बोरे-बासी छत्तीसगढ़ी अस्मिता का प्रतीक
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने जवाब देते हुए कहा,
“बोरे-बासी हमारे राज्य की सांस्कृतिक पहचान है। 1 मई को श्रमिक दिवस पर इसे बड़े पैमाने पर मनाया गया। कार्यक्रम को शासन की पूर्व स्वीकृति प्राप्त थी, इसलिए टेंडर की जरूरत नहीं थी।”
उन्होंने आगे कहा कि रायपुर के साइंस कॉलेज में प्रदर्शनी, भोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित आयोजन हुआ, और इस पर खर्च किया गया।
भाजपा का आरोप: “श्रमिकों के नाम पर करोड़ों की लूट”
भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने तीखा हमला बोलते हुए कहा,
“अगर ये 8 करोड़ सीधे श्रमिकों को दिए जाते तो उनका भला होता। लेकिन कांग्रेस ने मजदूरों की आड़ में भ्रष्टाचार किया। यह श्रमिकों के सम्मान के नाम पर किया गया आर्थिक मज़ाक है।”
