सरकार ने घरेलू बाजार में चावल, गेहूं, आटे जैसे अनाज की कीमतों पर लगाम कसने के लिए निर्यात रोक दिया, लेकिन इनकी कीमत लगातार बढ़ती जा रही है. खाद्य मंत्रालय ने बताया है कि पिछले साल के मुकाबले इन खाद्य उत्पादों की कीमतों में 20 फीसदी तक उछाल आ चुका है.
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, घरेलू बाजार में चावल, गेहूं और आटे की कीमतों में आगे भी बढ़ोतरी का अनुमान है. एक दिन पहले ही मंत्रायल ने चावल, गेहूं और गेहूं के आटे का आल इंडिया थोक व खुदरा मूल्य का औसत जारी किया था.
इसमें बताया गया है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल इन खाद्य उत्पादों की कीमतों में 9 से 20 फीसदी का बड़ा उछाल आया है. इन आंकड़ों के बाद मंत्रालय ने कहा है कि आगे भी चावल, गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी जारी रहेगी.
कृषि मंत्रालय ने गत बुधवार को बताया था कि इस साल खरीफ के सीजन में चावल की कुल पैदावार 10.49 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के खरीफ सीजन में 11.17 लाख टन था. इसके बाद खाद्य मंत्रालय का बयान आया जिसमें आगे भी चावल,
गेहूं की कीमतों में उछाल की बात कही जा रही है. मंत्रालय ने कहा है कि कम उत्पादन के अनुमान और गैर बासमती चावल के ज्यादा निर्यात की वजह से आगे भी चावल, गेहूं की कीमतों में उछाल का ट्रेंड जारी रहेगा.
कितनी बढ़ी है देश में चावल, आटे की औसत कीमत –
उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार, देश में चावल की खुदरा कीमत पिछले साल के मुकाबले 9.03 फीसदी बढ़ी है, जबकि गेहूं की खुदरा कीमत में 14.39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. सबसे ज्यादा उछाल आटे के खुदरा भाव में आया जो पिछले साल से 17.87 फीसदी महंगा हुआ है. अगर थोक भाव की बात करें तो चावल का ऑल इंडिया डेली होलसेल प्राइस पिछले साल के मुकाबले 10.16 फीसदी बढ़ गया है, जबकि गेहूं में यह उछाल 15.43 फीसदी का और आटे में 20.65 फीसदी का है.
खाद्य सुरक्षा योजनाओं पर असर –
कृषि मंत्रालय ने खरीफ सीजन 2022-23 के लिए पहली बार अनुमान जारी किया, जिसमें कहा है कि इस बार चावल की पैदावार पिछले साल के मुकाबले 6 फीसदी कम रहेगी. पहले चालू सीजन के लिए 12.2 करोड़ टन चावल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था,
जो अब 10.49 करोड़ टन का ही दिख रहा है. खरीफ के उत्पादन में कमी की वजह से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट 2013 के तहत देश में अनाज बांटने की योजनाओं पर असर पड़ेगा.
इस साल करीब 60 से 70 लाख टन चावल का कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया था, जो अब 40-50 लाख टन रह सकता है. कम उत्पादन के साथ चावल का बढ़ता निर्यात भी घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने का बड़ा कारण है. मंत्रालय के अनुसार, इस साल गैर बासमती चावल के निर्यात में 11 फीसदी का उछाल आया है.
ग्लोबल मार्केट में टूटे चावल की बढ़ती मांग से निर्यात पर दबाव है. अगर पिछले चार साल का ट्रेंड देखें तो टूटे चावल के निर्यात में 43 फीसदी का बड़ा उछाल आया है. अप्रैल-अगस्त, 2019 में जहां टूटे चावल का कुल निर्यात 51 हजार टन रहा था,
वहीं अप्रैल-अगस्त 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 21.31 लाख टन पहुंच गया. साल 2021 में अप्रैल-अगस्त के दौरान सिर्फ 15.8 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था.
बढ़ सकते हैं दूध, अंडे के दाम –
वैसे तो सरकार ने 9 सितंबर से टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दिया है, लेकिन इसकी कीमतों हुई बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर मुर्गी और पशुपालकों पर होने की आशंका है. टूटे चालव की कीमत पिछले साल के 16 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 22 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.
पॉल्ट्री उद्योग पर इसका ज्यादा असर पड़ने का कारण ये है कि मुर्गियों के दाने पर आने वाली खर्च की लागत में 60-65 फीसदी हिस्सा सिर्फ टूटे चावल का होता है. इसके दाम और बढ़ने पर पशुओं के चारे और मुर्गियों के दाने की कीमत बढ़ जाएगी, जिसका असर दूध, अंडे और मांस की कीमतों पर भी दिखेगा.