दुर्ग / भारत सरकार द्वारा जारी एडवायजरी के संबंध में सीजनल इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। वर्तमान में कुछ महिनों में सीजनल इन्फ्लूएंजा के प्रकरणों मे वृद्धि हो रही है। भारत में प्रतिवर्ष सीजनल इन्फ्लूएंजा के दो पीक, पहला जनवरी-मार्च तथा दूसरा मानसून के बाद देखने को मिलते हैं, जिनमें मार्च के अंत तक कमी आ सकती है। छोटे बच्चे और वृद्ध व्यक्ति जिनमें को-मॉर्बिडिटी हो उन्हें खासतौर पर H3N2 इन्फ्लूएंजा से सावधान रहने की जरूरत है।

H3N2 इन्फ्लूएंजा का रियल टाइम सर्वेलेंस- सभी स्वास्थ्य संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि ओपीडी और आईपीडी में आने वाले इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) तथा गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के प्रकरणों का नियमित रूप से रियल टाईम सर्वेलेंस किया जावे।

H3N2 इन्फ्लूएंजा संक्रमित मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण- आईसीएमआर के अनुसार भ्3छ2 इन्फ्लूएंजा के कारण अस्पताल में भर्ती हुए मरीज की संख्या दूसरे फ्लू सब-टाइप की तुलना में ज्यादा है। निम्नानुसार मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण के लक्षणों के समान ही रहता है जैसे- बुखार आना, सर्दी-जुकाम, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ होना तथा न्यूमोनिया

H3N2 से बचाव एवं नियंत्रण- साबुन तथा पानी से अच्छी तरह हाथ धोएं,मास्क पहनें और भीड़ वाली जगहों से बचें, खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढकें, ऑंखों और नाक को बार-बार न छुएं, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, बुखार और बदन दर्द हो तो पैरासिटामाल लें, एक दूसरे से हाथ न मिलाएं, सार्वजनिक जगहों पर ना थूंके, डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक ना लें, ग्रुप में एक साथ बैठकर खाना खाने से बचें।

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