भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती मंहगाई को लेकर अपनी चिंता एक बार फिर से जताई है. रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में थोक महंगाई की वजह से खुदरा महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है.
आपको बता दें कि अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति 15.08 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 8 साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है.
रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई का लक्ष्य 2-6 फीसदी रखा है लेकिन पिछले 4 महीने से खुदरा महंगाई की दर आरबीआई के इस लक्ष्य को पार कर रहा है.
यही वजह है कि इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट में अचानक वृद्धि की घोषणा कर दी थी.
लागत बढ़ने से पड़ेगा दबाव
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) के उच्च स्तर पर होने की वजह से कुछ समय बाद खुदरा महंगाई पर दबाव पड़ने का खतरा है.
कच्चे माल की कीमत और परिवहन लागत बढ़ने, ग्लोबल लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन प्रभावित होने से महंगाई पर दबाव बढ़ रहा है. केंद्रीय बैंक के मुताबिक,
‘‘मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्ट की महंगाई में तेज वृद्धि के बीच थोक और खुदरा महंगाई में बढ़ते अंतर की वजह से मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट का दबाव कुछ समय बाद खुदरा महंगाई पर पड़ने का जोखिम है.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और उसकी वजह से कमोडिटी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी भारत समेत दुनियाभर में महंगाई पर असर डाल रही है.
रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई
पेट्रोल-डीजल-गैस से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से थोक महंगाई अप्रैल में 15.08 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.
वहीं इस महीने खुदरा महंगाई 8 साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई. महंगाई को नियंत्रित करने के लिये इसी महीने की शुरुआत में आरबीआई ने रेपो रेट 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था.
दो साल बाद पहली बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई है. इस बीच, सरकार ने भी आम लोगों को महंगाई से राहत देने के कदम उठाए हैं.
केंद्र सरकार ने हाल ही में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है. इसके अलावा इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाली कुछ कच्ची सामग्री पर इम्पोर्ट ड्यूटी खत्म करने समेत अन्य कदम उठाए हैं.