भिलाई [न्यूज़ टी 20] भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में सभी सदस्यों की चिंता महंगाई को लेकर ही थी। इस चिंता को देखते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक को तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों के पुनर्मूल्यांकन के साथ ही उनके अनुरूप कदमों उठाने की जरूरत है।

छह से आठ अप्रैल तक हुई बैठक के मिनट्स में यह बात सामने आई है। छह सदस्यीय समिति की बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया गया। बैठक में नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया था। इसके साथ ही RBI ने Central Bank of India पर 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

60 प्रतिशत विकसित देशों में पांच प्रतिशत से अधिक महंगाई

बैठक में एमपीसी के सदस्य और आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एम देवव्रत पात्रा ने कहा कि इस समय एक चीज का वैश्वीकरण हो रहा है और वह है मुद्रास्फीति यानी महंगाई।

उन्होंने कहा था, ‘करीब 60 प्रतिशत विकसित देशों में पांच प्रतिशत से अधिक महंगाई है। वहीं आधे से अधिक विकासशील देशों में महंगाई की दर सात प्रतिशत से अधिक है।’

मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया

आरबीआइ ने इस बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया, जबकि फरवरी में इसके 4.5 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान जताया गया था। आरबीआइ ने विकास दर अनुमान भी 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर 36 लाख रुपये का जुर्माना

इसके साथ ही RBI ने सार्वजनिक क्षेत्र के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। क्‍योंकि उसने ग्राहकों के हितों की सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया था।

आरबीआई ने बयान में कहा कि बैंक पर यह कार्रवाई नियामकीय अनुपालन में लापरवाही पर की गई है। बैंक से मिले नोटिस के जवाब के आधार पर उस पर जुर्माने की कार्रवाई की गई है।

रिजर्व बैंक ने 18 अप्रैल, 2022 के इस आदेश में ग्राहकों के हितों की सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर सेंट्रल बैंक पर 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

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