
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया अब न्यायिक जांच के घेरे में आ गई है। छत्तीसगढ़ विद्यालयीन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार तिवारी और दुर्ग जिले के 34 शिक्षकों ने इस प्रक्रिया की वैधता और नियम उल्लंघनों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
काउंसिलिंग प्रक्रिया पर उठे सवाल
याचिका में दावा किया गया है कि युक्तियुक्तकरण की काउंसिलिंग प्रक्रिया में कई नियमों का उल्लंघन हुआ है। शिक्षकों का कहना है कि जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह संविधान के अनुच्छेद 309 और शिक्षा सेवा भर्ती-पदोन्नति नियम 2019 का सीधा उल्लंघन करती है।

शिक्षकों के पद घटाने पर आपत्ति
शिक्षकों की मुख्य आपत्तियों में यह भी शामिल है कि—
-
प्राइमरी स्कूलों को मिडिल स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है, जिससे प्रधानपाठक का पद समाप्त कर उन्हें सहायक शिक्षक बना दिया जाएगा।
-
मिडिल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के विलय के बाद हेड मास्टर का पद समाप्त कर उन्हें शिक्षक बना दिया जा रहा है।
-
शासन खुद पहले यह कह चुका है कि हेड मास्टर प्रशासकीय पद है, तो बिना संशोधन के इसे शिक्षक बनाना अनुचित है।
शासन के पुराने बयान का किया हवाला
याचिका में कहा गया है कि इससे पहले इसी हाईकोर्ट में शासन ने यह स्वीकार किया था कि हेड मास्टर एक प्रशासनिक पद है और उसे शिक्षक नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद इस नई प्रक्रिया के तहत पदों का मर्जर और पदनाम में बदलाव किया जा रहा है, जो नियमों का उल्लंघन है।
अपील का अवसर नहीं, कलेक्टर की भूमिका पर भी सवाल
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि—
-
काउंसिलिंग प्रक्रिया में अपील का अवसर नहीं दिया गया, जबकि नियमानुसार यह जरूरी है।
-
लेक्चरर के लिए कलेक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया, जबकि उनके पास इस संवर्ग के मामलों में कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
आगे क्या?
अब इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में होगी, और यदि शिक्षकों के पक्ष में निर्णय आता है, तो यह राज्यभर के शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
