
कोयला घोटाले में शामिल 6 आरोपियों को राहत, कोर्ट ने लगाई सख्त शर्तें
छत्तीसगढ़ कोल घोटाला केस में बड़ी खबर सामने आई है। इस घोटाले में गिरफ्तार 6 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। इन 6 में से प्रमुख नाम हैं – निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू और पूर्व सीएम की उपसचिव सौम्या चौरसिया। लेकिन जमानत के साथ कोर्ट ने सख्त पाबंदियां भी लगाई हैं।
जमानत की शर्तें: छत्तीसगढ़ में रहना नहीं होगा संभव
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सभी आरोपियों को आदेश दिया है कि वे फिलहाल छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकते। कारण – गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि:

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रिहाई के 1 सप्ताह के भीतर राज्य से बाहर का पता कोर्ट और जांच एजेंसी को देना होगा।
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स्थानीय पुलिस थाने में भी पता दर्ज करना होगा।
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पासपोर्ट संबंधित विशेष अदालत में जमा करना अनिवार्य होगा।
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जांच में पूरा सहयोग देना होगा और जब भी बुलाया जाए, उपस्थित रहना होगा।
क्या है छत्तीसगढ़ कोल घोटाला मामला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया था कि कोल ट्रांसपोर्ट परमिट को जानबूझकर ऑफलाइन किया गया, ताकि अवैध लेवी वसूली की जा सके। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को ऐसा आदेश जारी किया था।
इस मामले में कई बड़े नाम शामिल हैं:
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रानू साहू (निलंबित IAS)
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समीर विश्नोई (IAS)
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सौम्या चौरसिया (पूर्व उपसचिव, CM)
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सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक, मोइनुद्दीन कुरैशी, और अन्य
ईडी का दावा: करोड़ों की वसूली, सिस्टम को किया गया बायपास
ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला परिवहन में व्यापारी वर्ग से अवैध वसूली के लिए सिस्टम को बदला गया और ऑनलाइन परमिट प्रक्रिया को मैन्युअल किया गया। इससे घोटाले का नेटवर्क राज्यभर में फैला और इसका केंद्र बिंदु रहा रायपुर।
अब क्या होगा आगे?
रिहाई के बावजूद आरोपियों की ट्रायल प्रक्रिया जारी रहेगी। जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, ये सभी आरोपी कोर्ट और जांच एजेंसियों को रिपोर्ट करते रहेंगे। कोर्ट का सख्त रवैया यह साफ करता है कि कानून के दायरे में रहकर ही इन पर निगरानी रखी जाएगी।
