बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के सेटअप पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में प्राचार्य, व्याख्याता, पूर्व माध्यमिक शाला प्रधान पाठक, शिक्षक और प्राथमिक शाला प्रधान पाठक के लिए राज्य शासन ने 246968 पद स्वीकृत किया है। इसमें अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति,ओबीसी के अलावा अनारक्षित के लिए पद स्वीकृत किए गए हैं। मौजूदा स्थिति में स्वीकृत सेटअप से राज्य की स्कूलों में 69781 पद रिक्त है।
पदोन्नति से भरे जाने वाले पद भी रिक्त है। स्कूल शिक्षा विभाग, डीपीआई, संयुक्त संचालक एवं जिला शिक्षाधिकारी स्तर पर पदोन्नति का कार्य भी लंबे समय से अटका हुआ है। शिक्षक संगठनों की मानें तो स्कूल शिक्षा विभाग जिन पदों को पदोन्नति से भरे जाने हैं उन रिक्त पदों पर प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी कर ले तो 16000 शिक्षक संवर्ग अतिशेष होने से बच जाएंगे।
संगठन के पदाधिकारियों का पूरा फोकस इस बात पर है कि स्कूल शिक्षा विभाग पहले पदोन्नति की प्रक्रिया को पूरा करे। पदस्थापना आदेश जारी करे। उसके बाद प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए 2008 में जारी सेटअप का पालन किया जाए। तय सेटअप में शिक्षकों के पद और स्वतंत्र शाला का अस्तित्व है यह पहले लागू किया जाए उसके बाद अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन किया जाए।
शिक्षक संवर्ग की पदोन्नति वर्षो से लंबित है, और शिक्षा विभाग में पद रिक्त पड़े है। युक्तियुक्तकरण के बीच अब वर्षों से लंबित पदोन्नति का मुद्दा भी गरमाने लगा है। सर्व शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री से मिलकर कहा है कि राज्य शासन के निर्देशानुसार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तिकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। जिसके कई प्रावधान शिक्षक और छात्रहित में नहीं है।
इसके चलते अनावश्यक रूप से शिक्षक भी परेशान होंगे और स्कूल की व्यवस्था भी प्रभावित होगी। युक्तियुक्तिकरण की प्रक्रिया को स्थगित कर पहले पदोन्नति और स्थानांतरण के जरिए एकल और शिक्षकविहीन स्कूलों में पदस्थापना की जाए और उसके पश्चात ही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया की जाए।
26 साल से एक ही पद पर काम कर रहे शिक्षक
. प्रदेश के शिक्षक लंबे समय से अपने प्रमोशन की राह ताक रहे हैं और कई शिक्षक तो 26 साल से भी अधिक समय से एक ही पद पर कार्यरत है। विभाग उन्हें प्रमोशन देकर एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों में पदस्थापना कर सकता है। इससे जहां एकतरफ शिक्षकों का प्रमोशन हो जाएगा वहीं दूसरी तरफ स्कूलों को शिक्षक भी मिल जाएंगे। इसके बाद जो शेष अतिशेष शिक्षक बचते हैं उनका युक्तियुक्तकरण किया जा सकता है।
प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो अपने जिले और ब्लाक में जाने के लिए पिछले कई साल से स्थानांतरण खुलने की राह देख रहे हैं। अन्य जिलों से आने वाले ऐसे शिक्षक अपने जिले के किसी भी शिक्षकविहीन स्कूलों में पदस्थापना के लिए तैयार हैं। विभाग पूरे प्रदेश के एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों की सूची आनलाइन प्रदर्शित कर प्रदेश भर के शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरण का एक अवसर प्रदान कर सकता है।
. ऑनलाइन आवेदन मंगाए जाने पर महज एक या दो सप्ताह के अंदर बड़ी संख्या में ऐसे स्कूलों को शिक्षकों से भरा जा सकता है। इससे शिक्षकों के स्थानांतरण की मांग को कुछ हद तक पूरा भी किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ओपन ट्रांसफर के जरिए जिन स्कूलों में पद रिक्त है उन स्कूलों में भी पदस्थापना कर इस कमी को पूरा किया जा सकता है।
प्रदेश में कार्यरत शिक्षकों के सभी संगठनों का जोर इसी मुद्दे पर ज्यादा दिखाई दे रहा है। सर्व शिक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर तय सेटअप के अनुसार शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था के हित में यह महत्वपूर्ण निर्णय लेने की बात पर जोर दिया है।
भविष्य में भ्रष्टाचार का बड़ा कारण बनेगा युक्तियुक्तकरण- विवेक दुबे
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे का कहना है कि हमने सरकार से युक्तियुक्तकरण को स्थगित कर पहले पदोन्नति और स्थानांतरण की मांग रखी है । हमारा स्पष्ट मानना है कि सरकार एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों की सूची जारी करें और फिर वहां जो लोग स्वेच्छा से जाना चाहते हैं उन्हें स्वैच्छिक स्थानांतरण का अवसर प्रदान करे। हजारों की संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो अपने गृह जिला के किसी भी स्कूल में आने को तैयार हैं। उनके माध्यम से एकल शिक्षक की और शिक्षकविहीन स्कूल भरे जा सकते हैं। पदोन्नति में भी इन स्कूलों में पदस्थापना करके युक्तियुक्तकरण की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
सरकार जो युक्तियुक्तकरण करने की सोच रही है वह भविष्य में भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा कारण बनेगा और बाद में अधिकारी फिर से ऐसे शिक्षकों को शहर के स्कूल में पदस्थापना कर देंगे। 2014 में हुए युक्तियुक्तकरण के बाद भी ऐसा ही हुआ था और पदोन्नति में संशोधन का खेल भी किसी से छिपा नहीं है। लिहाजा जानबूझकर शिक्षकों को परेशान करने के बजाय पदोन्नति और स्थानांतरण के जरिए इन स्कूलों को भरना उचित होगा और यही हमारी मांग है।