दुर्ग / प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ’परीक्षा पर चर्चा’ का आयोजन आज नई दिल्ली में किया गया। चर्चा के इस सातवें संस्करण का सीधा प्रसारण किया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी के ऑनलाइन परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का आयोजन पीएम स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय बोरई दुर्ग में किया गया। इस मौके पर कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल सहित स्कूल के छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक उपस्थित थे।
परीक्षा पर चर्चा 2024 के दौरान ऑनलाइन जुड़कर छात्राएं, शिक्षक और अभिभावकों ने प्रधानमंत्री से तनावमुक्त परीक्षा दिलाने संबंधी बातचीत की। प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को तनावमुक्त परीक्षा दिलाने के टिप्स दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्ट्रेस या तनाव एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें हमें किसी भी परिस्थिति से निपटने या फिर निर्णय लेने में कठिनाई होती है। तनाव को सहने के लिए हमे सामर्थ्यवान बनना होगा। हमें यह मानके चलना चाहिए कि हमें परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालना है।
परिवार, शिक्षक और अभिभावकों में थोड़ा लचीलापन पैदा करना होगा और उन्हें तनाव से निपटने में मदद करना होगा। बच्चों को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, किंतु स्वयं से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। बच्चों को कभी भी दूसरे बच्चों के प्रति ईष्याभाव नही लाना चाहिए। यदि एक बच्चा किसी एक विषय में कमजोर है और वहीं दूसरा बच्चा उस विषय में अच्छा है तो दोनों एक दूसरे की सहायता करके अधिक सामर्थ्यवान बन सकते हैं। हमेशा सीखने का प्रयास करते रहना चाहिए।
छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाएं। माता-पिता को अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए। छात्रों और शिक्षकों के बीच का बंधन पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या से परे होना चाहिए। जब बच्चों से उनके सिलेबस से निकलकर नाता जोड़ेंगे तो परीक्षा में तनाव की स्थिति नही होगी। बच्चे आप से परीक्षा से संबंधित परेशानियों को खुल के रखेंगे। अपने बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता के बीज कभी न बोएं।
अपने सभी कार्यों और अध्ययन में प्रतिबद्ध और निर्णायक बनने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि परीक्षा में लिखना एक बड़ा चैलेंज होता है। आप अपना पूरा ध्यान लिखने में केन्द्रित करें। परीक्षा में लिखना है तो अपने आप को लिखने के लिए तैयार करना होगा। 15 मिनट अपने नोटबुक पर लिखे और खुद पढ़े। इससे लिखने की आदत और अपनी गलतियों को स्वयं पकड़ पाएंगे। लिखना जितना अच्छा होगा शार्पनेस उतना ही ज्यादा आएगा। उन्होंने कहा अपने आप पर भरोसा करोगे तो प्रश्नों के उत्तर देने पर फोकस कर पाओगे। परीक्षा कक्ष में समय से पहले आएं और तनावमुक्त होकर ध्यानपूर्वक पर्चे को पढ़े।
उन्होंने कहा जिस प्रकार एक मोबाईल को रिचार्ज करना पड़ता है उसी प्रकार शरीर को भी चार्ज करना पड़ता है। जीवन को संतुलित बनाना होता है। हम अगर स्वस्थ नही रहेंगे तो परीक्षा में बैठने के लायक नही रहेंगे। स्वस्थ शरीर के लिए सूर्य का प्रकाश जरूरी होता है। साथ ही उन्होंने नींद पर भी ध्यान केन्द्रित करने को कहा। उन्होंने कहा कि किसी को कम नही आकना चाहिए। हमारे में सामर्थ्य होना चाहिए हम निर्णय ले सके। यदि आपके पास वह अभ्यास है तो परीक्षा हॉल का अधिकांश तनाव दूर हो जाएगा।
सही समय जैसा कुछ नहीं है इसलिए इसका इंतजार न करें। चुनौतियाँ आती रहेंगी और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी। यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं। असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए। हर गलती एक नई सीख हैं। मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं। एक बार तय कर ले निराश होना ही नही है उसके बाद सकारात्मक सोच अपने आप आती जाती है। जीवन आत्म विश्वास से भरा होना चाहिए।
कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री से परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को तनावमुक्त होने के संबंध में प्रश्न किया गया, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री ने उक्त सुझाव देशभर के विद्यार्थियों को दिया। कलेक्टर ने सभी विद्यार्थियों को तनावमुक्त एवं स्वस्थ होकर परीक्षा दिलाने की बात कही और अधिक से अधिक समय पढ़ाई पर केन्द्रित करने को कहा। उन्होंने सभी बच्चों को वार्षिक परीक्षा के लिए शुभकामनाएं दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। अपने मेहनत और शिक्षक पर भरोसा रखें, सफलता अवश्य मिलेगी।
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