
25 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक होने वाली कथा अब ऑनलाइन स्वरूप में आयोजित होगी
भिलाई नगर। समीपस्थ ग्राम धनोरा में प्रसिद्ध कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा 25 से 29 अक्टूबर तक आयोजित की जानी थी। लेकिन लगातार बारिश के कारण कथा स्थल का मैदान पूरी तरह गीला और असुरक्षित हो गया है, जिसके चलते पंडाल लगाना संभव नहीं हो पाया।
आयोजक दामोदर प्रसाद साहू ने सीहोर जाकर दी स्थिति की जानकारी
कार्यक्रम के मुख्य आयोजक दामोदर प्रसाद साहू ने बताया कि उन्होंने सीहोर जाकर स्वयं पं. प्रदीप मिश्रा को धनोरा की स्थिति से अवगत कराया। स्थिति जानने के बाद पं. मिश्रा ने कथा को ऑनलाइन सुनाने की अनुमति दे दी।
अब कथा 25 से 29 अक्टूबर तक दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक ऑनलाइन प्रसारित की जाएगी। इस निर्णय की घोषणा स्वयं पं. प्रदीप मिश्रा ने कर दी है।

बारिश से भीगा मैदान, प्रशासन ने भी माना स्थल अनुपयुक्त
जानकारी के अनुसार, कथा स्थल का निरीक्षण कलेक्टर अभिजीत सिंह, एसएसपी विजय अग्रवाल सहित अन्य प्रशासनिक अफसरों ने किया था। लेकिन लगातार बारिश से जमीन दलदली हो गई है, जिससे पंडाल लगाना और दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना कठिन हो गया।
इसलिए आयोजकों ने यह निर्णय लिया कि कथा का श्रवण भक्तजन ऑनलाइन माध्यम से कर सकेंगे।
श्रद्धा और स्मृति के साथ किया जा रहा आयोजन
आयोजक दामोदर साहू, जो भिलाई इस्पात संयंत्र के वाटर मैनेजमेंट विभाग से सीनियर टेक्नीशियन पद से सेवानिवृत्त हैं, ने बताया कि यह कथा वे अपने स्वर्गीय पिता मयाराम साहू और मातृश्री सोनबती साहू एवं बुधियाबाई साहू की स्मृति में आयोजित कर रहे हैं।
इस दौरान उनके बेटे ओमप्रकाश साहू, भांजे जयप्रकाश साहू और रिश्तेदार उमेद साहू भी मौजूद रहे।
प्रशासन और भक्तों के सहयोग के लिए जताया आभार
श्री साहू ने कलेक्टर, एसएसपी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किए गए सहयोग और समन्वय के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भले ही कथा स्थल पर आयोजन न हो सके, लेकिन ऑनलाइन माध्यम से लाखों भक्त शिवमहिमा का लाभ ले सकेंगे।
ऑनलाइन कथा का समय (Pandit Pradeep Mishra Online Katha Timings)
🗓️ तारीख: 25 से 29 अक्टूबर 2025
⏰ समय: दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक
📡 माध्यम: पं. प्रदीप मिश्रा के आधिकारिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स
भक्ति में बाधा नहीं, आस्था का ऑनलाइन विस्तार
धनोरा की यह घटना यह दर्शाती है कि भक्ति और श्रद्धा परिस्थिति से नहीं रुकती।
बारिश भले ही पंडाल रोक दे, लेकिन आस्था का प्रवाह अब डिजिटल माध्यम से भक्तों तक पहुंचेगा।
