
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके हाथों से कटे हुए नाखून भी पैसे कमा सकते हैं? जी हां, जिन नाखूनों को हम आमतौर पर बेकार समझकर कूड़ेदान में फेंक देते हैं, वही नाखून चीन में पारंपरिक दवाइयों का हिस्सा माने जाते हैं. वहां पर लोग इन्हें दवा बनाने में इस्तेमाल करते हैं और इसके लिए अच्छी-खासी कीमत भी देते हैं. आइए जानते हैं, चिन में नाखूनों का इस्तेमाल कैसे किया जाता है.
दरअसल, पारंपरिक चीनी चिकित्सा में माना जाता है कि नाखूनों का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है. जैसे बच्चों में पेट फूलने की समस्या और टॉन्सिलाइटिस जैसी दिक्कतों के इलाज के लिए नाखून से बने पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. यही कारण है कि चिन में दवा बनाने वाली कंपनियां स्कूलों और गांवों से नाखून खरीदती हैं.
नाखून से दवा कैसे बनती है?

कंपनियां सबसे पहले खरीदे गए नाखूनों को अच्छी तरह धोती हैं. फिर इन्हें सुखाकर बारीक पीस लिया जाता है. इसके बाद यह पाउडर अलग-अलग तरह की दवाओं और मिश्रणों में डाला जाता है. हालांकि, एक समस्या यह है कि इंसानों के नाखून बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं. एक एडल्ट इंसान के नाखून साल भर में करीब 100 ग्राम ही बढ़ पाते हैं. इसी वजह से बड़ी मात्रा में नाखून जुटाना मुश्किल होता है और इसकी कीमत ज्यादा रहती है. हाल ही में चीन की एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि हेबेई प्रांत की एक महिला अपने बचपन से जमा किए हुए नाखून बेच रही थी. उसने इन्हें ऑनलाइन 150 युआन (लगभग 1,750 रुपये) प्रति किलो के हिसाब से बेचा. यह सुनकर लोग हैरान रह गए कि जिसे कचरा समझा जाता है, वही चीज किसी और जगह कीमती बन सकती है.
नाखूनों का इतिहास और अब फिर से वापसी
1960 के दशक तक नाखूनों का काफी इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन धीरे-धीरे जब लोगों ने नेल पॉलिश लगाना शुरू किया तो नाखूनों की गुणवत्ता खराब होने लगी. इस वजह से इनका इस्तेमाल कम हो गया. हालांकि, समय के साथ दूसरे विकल्प सामने आए, लेकिन नाखून पूरी तरह से गायब नहीं हुए. अब एक बार फिर इनकी मांग बढ़ रही है और इन्हें दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. बता दें कि, अगर आप सोच रहे हैं कि पैर के नाखून भी बेचे जा सकते हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. कंपनियां खासतौर पर यह साफ कर देती हैं कि वो केवल हाथों के नाखून ही खरीदती हैं. पैर के नाखूनों को वो नहीं खरीदती.
