रायपुर
आयुर्वेद, पंचकर्म और प्राकृतिक चिकित्सा भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां है, इसके लाभ और महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा राजधानी रायपुर में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर में आयुर्वेद, पंचकर्म और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रदर्शन, इलाज के साथ मरीजों को परामर्श भी दिया जा रहा है। लगभग 100 लोग प्रतिदिन इन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ उठा रहे हैं। यहां डॉ.दिनेश कुमार नाग के मार्गदर्शन में योग, पंचकर्म, पैरामेडिकल के 15 विशेषज्ञों की टीम सेंवाएं दे रही है।
डॉ. नाग ने बताया कि शरीर पंच तत्व मिट्टी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से मिलकर बना होता है। इन तत्वों के असंतुलन से रोग उत्पन्न होते हैं, इसे संतुलित बनाने की पद्धति ही प्राकृतिक चिकित्सा है। यह एक दवा रहित इलाज की पद्धति है, जिसमें योग और आहार विशेष महत्व रखते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा में आहार को भी औषधि माना गया है। मरीजों को रोग के अनुसार उन्हें भोजन में क्या लेना चाहिए और कौन से योगासान करना चाहिए इसकी सलाह भी दी जा रही है। इसके साथ आयुर्वेद, पंचकर्म पद्धति से भी लोगों का इलाज किया जा रहा है।
डॉ. नाग ने बताया कि आयुर्वेद में वात, पित्त, कफ के असंतुलन के अनुसार बीमारी का कारण जानकर चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति में वमन कर्म, विरेचन, वस्ति चिकित्सा, नस्य कर्म और रक्त मोक्षण के माध्यम से इलाज किया जाता है। शिविर में आने वाले मरीजों को इसकी आवश्यकतानुसार परामर्श और क्रियाओं का प्रदर्शन कर जानकारी दी जा रही है। इससे लोगों में इलाज के प्रति विश्वास बढ़ा है और जागरूकता आई है। रायपुर के श्री मनोहर साहू ने बताया कि उनकी पिंडली में योग करते हुए खिचाव आ गया था। इससे उन्हें दर्द के साथ चलने में परेशानी हो रही थी। शिविर में चिकित्सा से उन्हें एक दिन में ही काफी आराम मिल गया। इलाज से वे पूरी तरह संतुष्ट हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा योग के लाभ को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से राजधानी रायपुर के ‘योग भवन‘ वर्किंग वूमेन हॉस्टल, बी.आई.पी रोड में 24 अप्रैल से तक सात दिवसीय संभाग स्तरीय आवासीय योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शिविर का आयोजन 30 तक किया जाएगा। शिविर में प्रशिक्षणार्थियों को योग के सैद्धांतिक शिक्षण के साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।