बिलासपुर [ News T20 ] | न्यायधानी से ठगी का एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहां महिला के बंद हो चुके मोबाइल से एक एप एक्टिव कर उनके खाते से 9 लाख रुपए निकाले गए. खाते में बंद मोबाइल नंबर लिंक था. महिला का एसबीआई में अकाउंट है. इसमें उनकी पेंशन राशि जमा होती है. उन्होंने बेटे की फीस जमा करने अकाउंट चेक किया तो मामले का खुलासा हुआ. पीडिता की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस जुर्म दर्ज कर जांच में जुटी है.
पेंशनर महिला के पास न तो एटीएम है और न ही नेट बैंकिंग का उपयोग करती हैं. बावजूद इसके उनके खाते से एटीएम और योनो नेट बैंकिंग के जरिए पैसे निकाल लिए गए. यही नहीं उनकी जानकारी के बिना ही उनके एफडी से पांच लाख 40 हजार रुपए का लोन ले लिया गया है. ऐसे में इस केस में बैंक प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, अब पुलिस की जांच के बाद से इसका राज खुलेगा.
पुलिस के अनुसार सिविल लाइन क्षेत्र के तिलक नगर में रहने वाली कुसुम पवार (85) पेंशनर हैं. उनका अकाउंट एसबीआई के कलेक्ट्रेट शाखा में है. इसमें उनकी पेंशन की राशि जमा होती है. महिला बच्चों की फीस जमा करने के लिए पैसे निकालने बैंक पहुंची, तब पता चला कि उनके खाते से 9 लाख रुपए निकल गए हैं.
परेशान महिला ने बैंक से डिटेल निकलवाया तो मालूम हुआ कि एटीएम कार्ड और योनो नेटबैंकिंग से पैसे निकाले गए हैं. हैरानी की बात है कि उन्होंने अपना एटीएम कार्ड ही नहीं बनवाया है और न ही योनो नेटबैंकिंग का उपयोग किया है. उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिस से की है, जिस पर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है.
बेटी के मोबाइल से लिंक था अकाउंट
कुसुम पवार ने पुलिस को बताया कि दो साल पहले उनका बैंक अकाउंट उनकी बेटी निशा पवार के मोबाइल नंबर से लिंक था. उनकी बेटी निशा की दो साल पहले मौत हो चुकी है. तब से उसका मोबाइल भी बंद है और अब वह नंबर उपयोग में नहीं है. महिला ने बंैक से जानकारी ली, तब पता चला कि उनके बैंक अकाउंट में बीते पांच फरवरी को अनजान नंबर के माध्यम से एक रुपए जमा हुए थे. इसके बाद से उनके बैंक खाते से लगातार पैसे निकलते रहे. कुछ दिन पहले जब वह बैंक गईं, तब उन्हें इसकी जानकारी हुई.
करीबी का हो सकता है हाथ
सिविल लाइन टीआई परिवेश तिवारी का कहना है कि जिस तरह से महिला के अकाउंट से पैसे पार हुए हैं, इससे इस पूरे केस में उनके किसी करीबी का भी हाथ हो सकता है. आशंका जताई जा रही है कि महिला से धोखे से कागजात में हस्ताक्षर करा लिया गया हो और एटीएम और नेट बैंकिंग की सुविधा ले ली गई हो. हालांकि, यह सब बैंक प्रबंधन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. जांच के बाद ही मामले का राज खुल सकेगा.