रायपुर
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग में वित्तीय सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। विष्णु के सुशासन में राज्य सरकार जनहित में लगातार नीतिगत निर्णय ले रही है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस दिशा में प्रयास करते हुए अपने सुझाव सामने रखे थे।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की अध्यक्षता में राज्य के 10 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के स्वशासी सोसायटियों की बैठक में आज चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संबद्ध चिकित्सालयों के वित्तीय विकेंद्रीकरण के विस्तार के लिए कई महत्वपूर्ण एवं जनहित के निर्णय लिए गए हैं।
इन निर्णयों से महाविद्यालय स्तर पर स्वशासी सोसायटियों का सुदृढिकरण होगा, आवश्यक कार्यों के लिए शासन पर निर्भरता कम होगी, अतिआवश्यक कार्य समय सीमा पर संपन्न हो सकेंगे और तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति चिकित्सा महाविद्यालय स्तर पर ही हो जाएगी।
चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संबद्ध अस्पतालो के लिए अतिआवश्यक दवाइयां, चिकित्सकीय उपकरणों की खरीदी मरम्मत एवं रखरखाव, कन्ज्यूमेबल सामग्री इत्यादि की तात्कालिक उपचार के लिए आवश्यकता पड़ती रहती है। लेकिन मेडिकल कालेजों के अधिष्ठाता एवं अस्पताल अधीक्षकों के पास इन्हें खरीदने अथवा मरम्मत के लिए बहुत ही सीमित शक्तियों का प्रावधान था।
इसकी वजह से इन्हें शासन स्तर के निर्णय पर निर्भर रहना पड़ता था। ये नियम छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व से चला आ रहा था । राज्य गठन के बाद पहली बार वित्तीय अधिकारों के नियम मे संशोधन किया जा रहा है। पहले मेडिकल कालेजों के अधिष्ठाता एवं अस्पताल अधीक्षकों को 1 लाख रूपए से उपर के लघु निर्माण, मरम्मत, दवा खरीदी इत्यादि कार्यों के लिए मंत्रालय स्तर पर फाइल भेजनी पड़ती थी। नए निर्णय से अब इनके पास 10 लाख रूपए तक का वित्तीय अधिकार होगा।
इसके लिए शासन स्तर से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। औजारों एवं लघु उपकरणों की खरीदी अथवा मरम्मत के लिए 1 लाख रूपए तक का वित्तीय अधिकार था जिसे अब बढ़ाकर 10 लाख रूपए करने की सहमति स्वशासी समिति की बैठक में दी गयी है।
इसी तरह से भण्डार तथा रिएजेंट की खरीदी के लिए 20 हजार रूपए तक की शक्तियां थी जिन्हें बढ़ाकर अधिष्ठाता एवं अस्पताल अधीक्षक को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने की अनुशंसा की गयी है। इस वित्तीय विकेंद्रीकरण से स्वाशासी समिति कार्यसंपन्न बनेगी और बहुमूल्य समय की बचत होगी। इससे मरीजो को दवाइओं एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का त्वरित लाभ मिलेगा।
स्वशासी सोसायटियों का पुनर्गठन
राज्य के 10 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संबद्ध चिकित्सालयों की स्वशासी सोसायटियों का गठन महाविद्यालय की स्थापना के साथ अलग अलग समय पर हुआ है। इन सोसायटियों के लिए कोई एक निर्धारित गाइड लाइन या नियमावली का निर्धारण नहीं किया गया है और इनमें एकरूपता नहीं है।
इन सोसायटियों को होने वाली आय व्यय के अनुमोदन के लिए भी कोई मानकीकरण प्रक्रिया नहीं है। इनमें एकरूपता लाने के लिए माडल स्वशासी सोसायटियों का ड्राफ्ट प्रशासकीय विभाग द्वारा अनुमोदित कर जारी किया गया है। पूर्व में सिर्फ सामान्य सभा को ही अधिकार प्राप्त थे, लेकिन नए ड्राफ्ट के अनुसार सामान्य सभा के अधिकारों का विस्तार करते हुए प्रबंधकारिणी समिति और वित्त समिति के अधिकारों में बदलाव किए गए हैं।
इन बदलावों के अनुसार सामान्य सभा को पूर्ण अधिकार के साथ ही अब प्रबंधकारिणी समिति को प्रति कार्य 2 करोड़ रूपए तक अनुमोदन का अधिकार होगा, पहले ये अधिकार नहीं था। वित्त समिति को प्रति कार्य 10 लाख रूपए तक के अनुमोदन का अधिकार दिया गया है, पहले कोई अधिकार नहीं था।
केंद्र अथवा राज्य शासन के विभिन्न योजनाओं से स्वशासी समिति को प्राप्त राशि, आवंटन अथवा अनुदान में से सामान्य सभा को खर्च व अनुमोदन का पूर्ण अधिकार होगा वहीं इसी राशि में से प्रबंधकारिणी समिति को 5 करोड़ रूपए तक की राशि के अनुमोदन का अधिकार होगा।
अभी तक राज्य शासन से आयुष्मान भारत योजना अंतर्गत प्राप्त क्लेम का 25 फीसदी ही संबंधित चिकित्सा महाविद्यालय की स्वशासी सोसायटी को प्राप्त होता था। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की उपस्थिति में इसे बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया गया है।
इसके साथ ही एक बड़ा बदलाव करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल की अध्यक्षता में ये निर्णय लिया गया है कि शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं सम्बद्ध चिकित्सालयों को राज्य बजट से दवाइयां मद तथा भण्डार एवं रिएजेंट मद में प्राप्त बजट का 10 फीसदी राशि का आवंटन होता था। इसे बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया है।
इन फैसलों से मेडिकल कालेजो को वित्तीय रुप से सशक्त बनाने के लिए वित्तीय विकेंद्रीकरण कर मेडिकल कालेजों की स्वशासी सोसायटियों को पुनर्गठित किया गया है। नवा रायपुर के महानदी भवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए स्वशासी सोसायटियों को संबोधत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि विष्णु के सुशासन में मेडिकला कालेजों में वित्तीय अनुशासन एवं सुधारों के जरिए बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं।
ये निर्णय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम है। इन निर्णयों से हम मेडिकल कालेजों को अधिकार संपन्न बना रहे हैं ताकि छोटी जरूरतों के लिए उन्हें निर्भर न रहना पड़े और जनहित में वो आवश्यक निर्णय तत्काल लेकर मरीजों की बेहतरी के लिए काम कर सकें।
बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती किरण कौशल उपस्थित थीं । वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी स्वशासी सोसाइटी के जनप्रतिनिधि सदस्य, संभाग आयुक्त, संबंधित जिलों के कलेक्टर, मेडिकल कॉलेजों के डीन और अस्पताल अधीक्षक भी बैठक में शामिल हुए।