रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का एक कर्मचारी दो साल से सरकारी पैसे (आकस्मिकता निधि) से सट्‌टा खेलता रहा। अपने और अपने रिश्तेदारों व अन्य परिचितों के खाते में पैसे ट्रांसफर करता रहा। रेलवे के अधिकारी दो सालों तक आंख मूंदे रहे और देखते-देखते वैगन रिपेयर शॉप के कार्यालय अधीक्षक ने 1.8 करोड़ रेलवे के खाते से पार कर दिया।

जब सिर्फ चार हजार रुपए बचे थे, तब अफसर थाने पहुंचे। खबर है कि विजिलेंस की जानकारी में जब बात आई, तब रेलवे अधिकारी जागे और वैगन रिपेयर शॉप के कार्यालय अधीक्षक रोहित पालीवाल के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई। इस मामले में कार्यालय अधीक्षक के साथ-साथ कई और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।

पहले एफआईआर की कॉपी पढ़ें…

“वैगन रिपेयर शॉप के मुख्य कर्मशाला प्रबंधक (कार्यालय प्रमुख) के बैंक खाता क्रमांक 31718483415 एसबीआई ब्रांच, डब्ल्यूआरएस जो कि कार्यालयीन आकस्मिकता निधि (कैश इम्प्रेस्ट) के प्रबंधन में काम आता है, से रोहित पालीवाल, कार्यालय अधीक्षक द्वारा वित्तीय अनियमितता करने का मामला सामने आया है। प्रशासन को यह ज्ञात हुआ है कि कार्यालय प्रमुख के बिना जानकारी के रोहित पालीवाल ने सरकारी खजाने में से समय-समय पर विभिन्न लोगों के खाते में शासकीय राशि स्थानांतरित (गबन) की है।

रेल प्रशासन से पिछले दो वर्षों में करीब लगभग 1.8 करोड़ रुपए का गबन किया है। यह भी सामने आया है कि सरकारी खर्चों के लिए आहरण करने के पश्चात् रोहित पालीवाल के द्वारा समय-समय पर विभिन्न व्यक्तियों के खातों में और स्वयं अपने खाते में भी सरकारी राशि को स्थानांतरित किया गया है। रेल प्रशासन के साथ करीबन 1.8 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है।

अन्य 4 एसबीआई खाते क्रमांक 31612572768, 31718336957, 10443422094, 10443422083 (अवार्ड, सर्विस स्टाम्प, इम्प्रेस्ट, डीजल आदि मद) से भी शासकीय निधि का स्थानांतरण निजी लाभ हेतु रोहित पालीवाल द्वारा किया गया है। यह बात तब सामने आयी जब संबंधित खाते की जांच की गयी तो पता चला कि उस खाते में मात्र 4000/- चार हजार रुपए ही शेष उपलब्ध हैं। इस घोटाले के कारण रेल प्रशासन को जो कि एक सरकारी तंत्र है, को घाटे का सामना करना पड़ा।

रोहित पालीवाल द्वारा स्थानांतरित की गई राशि का विवरण खाते के बैंक स्टेटमेंट से निकालकर प्राप्त कर संलग्न किया जा रहा है। इस संबंध में निवेदन है कि इस मामले में पूर्ण रूप से जांच कर रोहित पालीवाल व अन्य दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही करने का कष्ट करें।” डब्ल्यूआरएस के मुख्य कर्मशाला प्रबंधक सुबोध चंद्र चौधरी के निर्देश पर मुख्य कर्मचारी कल्याण निरीक्षक रामसजीवन सरोज ने यह सूचना थाने में दी है।

सबसे बड़ा सवाल – दो साल तक क्या करते रहे अफसर?

वैगन रिपेयर शॉप में आकस्मिकता निधि से दो साल में 1.8 करोड़ रुपए निकाले गए। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी क्या करते रहे? क्या दो साल तक रेलवे के इस फंड का कोई ऑडिट नहीं किया गया? अकाउंट अफसर को क्या इस बात की जानकारी नहीं थी? या रुपए के लेनदेन में शामिल पूरा तंत्र ही इस भ्रष्टाचार में शामिल था? सूत्रों के मुताबिक अफसर एफआईआर कराने में टालमटाेल करते रहे। इस बीच विजिलेंस की जानकारी में यह बात आई, तब अधिकारियों ने अपने स्तर पर जांच की और एफआईआर कराने कहा, तब जाकर मामला पुलिस थाने पहुंचा।

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