पाकिस्तान का एक ऐसा गांव है, जो अपने अनोखे कानूनों और सख्त नियमों के लिए जाना जाता है. यहां देश का संविधान लागू नहीं होता, बल्कि इस गांव का अपना अलग संविधान है. आइए जानते हैं इस गांव और इसके खास नियमों के बारे में. यह अनोखा गांव पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित अंसार मीणा गांव है. सदियों से यहां की परंपराएं और रीति-रिवाज अलग पहचान बनाए हुए हैं. गांव का प्रशासन पूरी तरह से यहां के स्थानीय नेताओं द्वारा चलाया जाता है. यह स्वशासन का एक उदाहरण है, जहां राज्य या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता.
गांव के कानून से चलते हैं लोग
गांव के लोग अपनी आर्थिक गतिविधियों, सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक परंपराओं को अपने संविधान के अनुसार ही संचालित करते हैं. यहां के सख्त कानून गांववालों के लिए सुरक्षा और शांति का प्रतीक हैं, और इन्हें पूरी निष्ठा से माना जाता है.
गांव में क्या है कानून?
अंसार मीणा गांव ने ग्रामीणों की सहमति से 20 सूत्रीय संविधान लागू किया है. इसके तहत कई अहम नियम बनाए गए हैं:
गांव में क्या है कानून?
अंसार मीणा गांव ने ग्रामीणों की सहमति से 20 सूत्रीय संविधान लागू किया है. इसके तहत कई अहम नियम बनाए गए हैं:
- दहेज प्रथा पर रोक: गांव में दहेज लेना-देना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
- हवाई फायरिंग पर पाबंदी: किसी भी कार्यक्रम में हवाई फायरिंग करना मना है.
- स्मार्टफोन पर रोक: छात्रों के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर पाबंदी है.
- निकाह में सादगी: शादियों में खर्चों को कम करने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं.
- मृत्यु संबंधी रीति-रिवाजों का सरलीकरण: किसी के इंतकाल के बाद अनावश्यक खर्चों को खत्म करने के लिए भी नियम हैं.
- गांववाले इन नियमों को खुशी-खुशी मानते हैं और मानते हैं कि इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहतर होगी.
बेहद खास हैं यहां के नियम
अंसार मीणा गांव में शादी और अन्य सामाजिक आयोजनों को सरल और कम खर्चीला बनाने के लिए अनोखे नियम बनाए गए हैं:
- शादियों में व्यवहार के तौर पर 100 रुपये से ज्यादा नहीं दिए जा सकते.
- शादियों में चावल बांटने की परंपरा बंद कर दी गई है.
- मेहमानों का स्वागत केवल चाय और बिस्किट से किया जाता है.
- 14 साल से कम उम्र के बच्चों को मोटरसाइकिल चलाने की अनुमति नहीं है.
- गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश और नशे का कारोबार सख्त मना है.
- इन नियमों से गांव में अनुशासन और शांति बनी हुई है. यहां के लोग इस संविधान को अपनी परंपराओं का हिस्सा मानते हैं और इसे पूरी निष्ठा से अपनाते हैं.