भिलाई [न्यूज़ टी 20] केंद्र सरकार द्वारा लाई गई वाहन कबाड़ नीति से प्रदूषण में कमी आएगी तो वहीं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कम लागत के साथ उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी. इसके अलावा इस नीति से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कॉपर ,स्टील, एल्युमिनियम, रबड़ और प्लास्टिक आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.
रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्टर नितिन गडकरी कई अलग-अलग मिशन को पूरा करने में जुटे हुए हैं। इस लिस्ट में एक मिशन ग्रीन हाइड्रोजन का भी है। ऑप्शनल फ्यूल पर जोर देने वाल गडकरी ने इंजीनियर्स और प्रोफेशनल्स के लिए हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर इसका जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि उनका सपना भारत में कम से कम 1 डॉलर (लगभग 80 रुपए) प्रति किलोग्राम के हिसाब से ग्रीन हाइड्रोजन उपलब्ध कराना है। यदि ऐसा होता है तो कार को चलाना बेहत किफायती हो जाएगा। साथ ही, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से भी निजात मिलेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गडकरी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन को पेट्रोलियम, बायोमास, ऑर्गेनिक वेस्ट और सीवेज के पानी से बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल एविएशन (विमान), रेलवे और ऑटो इंडस्ट्री समेत कई क्षेत्रों में किया जा सकता है। टोयोटा मिराई हाइड्रोजन से चलने वाली कार है। ये हाइड्रोजन से एक टैंक फुल कराने के बाद 650 किमी तक जा सकती है।
ऐसे काम करती है हाइड्रोजन कार
ये एक इलेक्ट्रिक कार ही है। इसे चलाने के लिए जो इलेक्ट्रिसिटी चाहिए होती है, वो इसमें लगे हाइड्रोजन फ्यूल सेल से जेनरेट होती है। ये फ्यूल सेल वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और इसके ईंधन टैंक में भरे हाइड्रोजन के बीच केमिकल रिएक्शन कराकर बिजली पैदा करते हैं।
केमिकल रिएक्शन से इन दोनों गैस के मिलने से पानी (H2O) और इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है। इसी इलेक्ट्रिसिटी से कार चलती है। जबकि इसमें लगी पावर कंट्रोल यूनिट एक्स्ट्रा बिजली को कार में लगी बैटरी में स्टोर के लिए भेज देती है।