छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में डीआरजी के तीन जवान शहीद हो गए। सर्चिंग पर निकले सुरक्षाबलों को एंबुश लगाकर माओवादियों ने निशाना बनाया है। सुकमा एसपी सुनील शर्मा के मुताबिक एनकाउंटर में 5 से 6 नक्सली भी मारे गए हैं। आसपास करीब 100 की संख्या में नक्सली मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक जगरगुंडा-कुंदेड़ के बीच DRG के जवान सड़क निर्माण काम को सुरक्षा देने और नक्सल ऑपरेशन पर निकले हुए थे।
यहां पहले से मौजूद घात लगाए माओवादियों ने जवानों पर गोलियां बरसा दी । जवानों ने भी मोर्चा संभालकर उनका डटकर मुकाबला किया। सीएम भूपेश बघेल ने जवानों की शहादत पर दुख जताया है। साथ ही शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। नक्सली घटना का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा।
शहीद जवानों के नाम
- रामुराम नाग, ASI
- कुंजाम जोगा
- वंजाम भीमा
जगरगुंडा के आस-पास स्थित पुलिस कैंप से जवानों की टुकड़ी को मौके पर भेजकर सर्चिंग की जा रही है। सर्चिंग पर निकले डीआरजी के जवानों को वापस कैंप में रवाना कर दिया है। जिस इलाके में मुठभेड़ हुई वह इलाका पूरी तरह से माओवादियों का गढ़ है। नक्सली कमांडर हिड़मा यहां सक्रिय है। मुठभेड़ में कई हार्डकोर नक्सलियों के मौजूद होने की भी बात कही जा रही है।
माओवादियों की राजधानी के नाम से जाना जाता है जगरगुंडा
जगदलपुर से करीब 200 किमी दूर दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा इन तीन जिलों की सरहद पर सुकमा जिले का जगरगुंडा गांव बसा हुआ है। ये नक्सलियों की उपराजधानी के नाम से भी चर्चित है। 1980-85 के बीच माओवादी कमांडर जगन्ना सबसे पहले इस गांव में आया। उसने बंदूक के दम पर ग्रामीणों पर राज किया। फिर जगन्ना जब यहां से दूसरे एरिया में गया तो नक्सली कमांडर पापाराव ने उसकी जिम्मेदारी संभाली।
कुछ समय बाद पास के ही पूवर्ती गांव के रहने वाले नक्सली कमांडर हिड़मा को इस गांव में दबदबा बनाए रखने जिम्मेदारी दी गई थी। नक्सलियों ने अपना वर्चस्व बनाए रखने सबसे पहले महात्मा गांधी की मूर्ति को तोड़ा। कुल्हाड़ी से सिर को धड़ से अलग कर दिया था।