
सड़क पर तड़पते परिवार को देखकर नहीं मुड़े आंखें, युवाओं ने निभाया फर्ज़
रायपुर। नवा रायपुर में हुए एक दिल दहला देने वाले सड़क हादसे के बाद जो हुआ, वह इंसानियत और सामाजिक ज़िम्मेदारी का बेहद प्रेरणादायक उदाहरण है। एक सामाजिक संगठन ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ के युवाओं ने एक गर्भवती महिला, उसके गंभीर रूप से घायल पति और मृतप्रायः मासूम बच्ची की जान बचाकर एक मिसाल कायम की।
तेज़ रफ्तार कार ने बाइक सवार परिवार को मारी टक्कर, सड़क पर बिखर गया जीवन
घटना 27 मई की रात की है, जब एक गर्भवती महिला, उसका पति और 2 साल की बच्ची बाइक से कहीं जा रहे थे। अचानक एक तेज़ रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे में बच्ची की सांसें रुक चुकी थीं, और माता-पिता बेहोश हालत में खून से लथपथ सड़क पर पड़े थे।

CPR देकर लौटाई बच्ची की सांसें, चमत्कार से कम नहीं था वो पल
हादसे के समय NGO की सदस्य स्मारिका राजपूत, नितिन सिंह राजपूत, पूनम जुमनानी, तनूजा लालवानी और तनिष्क राजपूत मौके पर पहुंचे। स्मारिका राजपूत ने CPR और रेस्क्यू ब्रीथिंग देकर बच्ची को दोबारा जीवनदान दिया। अगर यह हस्तक्षेप कुछ मिनट देर से होता, तो बच्ची की जान बचाना मुश्किल था।
NGO ने समय रहते पहुंचाया अस्पताल, गंभीर माता-पिता की भी करवाई मदद
NGO टीम ने बच्ची को सत्य साईं अस्पताल और फिर RIMS रेफर कराया। वहीं, महिला को बार-बार बेहोशी आ रही थी और पुरुष के दोनों पैर टूट चुके थे। उन्हें भी तुरंत अस्पताल ले जाया गया। इन युवाओं के कारण पूरा परिवार मौत के मुंह से वापस लौट आया।
लोग गुजरते रहे, कोई नहीं रुका—NGO ने दिखाई असली मानवता
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कई वाहन चालकों ने मदद नहीं की। लेकिन NGO टीम ने न सिर्फ घायलों की मदद की बल्कि कार चालक और मालिक को भी पकड़कर पुलिस को सूचना दी। NGO संयोजक रजत अग्रवाल ने फोन के ज़रिए राहत कार्यों को गाइड किया और AIG संजय शर्मा ने भी प्रशासनिक सहायता सुनिश्चित की।
“हमने इंसानियत को बचाया” – NGO सदस्य
NGO सदस्य नितिन सिंह राजपूत ने कहा,
“हमने सिर्फ एक परिवार नहीं, चार जिंदगियां और इंसानियत बचाई है। यही हमारा मकसद है।”
‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ संस्था को मिल रही समाज भर से सराहना
इस वीरता और सेवा भाव के लिए NGO की टीम को हर ओर से प्रशंसा मिल रही है। यह घटना साबित करती है कि जब युवा जागरूक होते हैं, तो समाज में बदलाव संभव है।
