भिलाई [न्यूज़ टी 20] महाराष्ट्र / महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर अम्बादास दानवे की नियुक्ति महाविकास अघाड़ी में तनाव पैदा करती नजर आ रही है। खबर है कि कांग्रेस इस फैसले से नाराज नजर आ रही है।
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को उद्धव ठाकरे को फैसला लेने से पहले सहयोगियों से बात करने की सलाह दी है। गुरुवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने शिवसेना के साथ गठबंधन पर ही सवाल उठा दिए थे।
औरंगाबाद में पत्रकारों से बातचीत में पटोले ने कहा, ‘विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद एनसीपी के साथ है और उपाध्यक्ष का पद शिवसेना के पास है। हमारा मानना है कि विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस को मिलना चाहिए। लेकिन शिवसेना न हमारे साथ विचार विमर्श किया और बगैर हमें विश्वास में लिए आगे चले गए।’
उन्होंने कहा, ‘शिवसेना के साथ गठबंधन कभी भी प्राकृतिक नहीं था और यह इसलिए हुआ, क्योंकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने हमारी नेता सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।’ उन्होंने कहा, ‘महाविकास अघाड़ी स्थायी नहीं है। अगर फैसला लेते समय कांग्रेस के भरोसे में नहीं लिया जाता है, तो हमें भी इसके बारे में सोचना होगा।’
शिवसेना में दलबदल को लेकर चिंतित हैं कांग्रेस और एनसीपी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस और एनसीपी को राज्य परिषद से शिवसेना में और दलबदल होने की चिंता है। आंकड़े बताते हैं कि विधान परिषद में शिवसेना के 12 सदस्य हैं। जबकि, एनसीपी और कांग्रेस के 10-10 सदस्य हैं।
सूत्रों ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे ने परिषद से इस्तीफा देने की घोषणा की है, लेकिन इस्तीफा जमा किया जाना बाकी है। यह सुनिश्चित करेगा कि शिवसेना परिषद में सबसे बड़ी पार्टी रहे।’ हालांकि, खबर है कि शिवसेना के तीन विधान परिषद सदस्यों ने शिंदे कैंप को समर्थन जताया है।
जल्द ही वह गुट में शामिल हो सकते हैं। 8 अगस्त को ठाकरे की तरफ से परिषद के अध्यक्ष को पत्र भेजा गया, जिसमें विपक्ष के नेता के पद के लिए दानवे के नाम की सिफारि की गई। अब जब पद खाली था,
तो डिप्टी चेयरमैन नीलम गोरहे ने इसे स्वीकार कर लिया और अगले दिन उनकी नियुक्ति हो गई। खास बात है कि 3 अगस्त को कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहब थोराट ने भी परिषद के अध्यक्ष को पद के लिए पत्र लिखा था।
शिवसेना ने कांग्रेस पर ही लगाए आरोप
अखबार से बातचीत में शिवसेना सांसद विनायक राउत ने कहा, ‘हम नाना पटोले के बयान को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने इतना अहम मोड़ तैयार कर दिया है।’ उन्होंने कहा,
‘कांग्रेस को समझना चाहिए कि जिसकी ज्यादा संख्या होगी उसे परिषद में अपने MLC को विपक्ष का नेता बनाने का मौका मिलेगा। शिवसेना की एमएलसी में सबसे ज्यादा संख्या है इसलिए स्वभाविक है कि हमारा एमएलसी विपक्ष का नेता बनेगा।’
शिवसेना के एक अन्य नेता ने कहा, ‘जब उद्धव ठाकरे की शिवसेना बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है, तो महाराष्ट्र कांग्रेस ने उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है… कांग्रेस उसे आगे कमजोर करने की कोशिश कर रही है।’ वहीं, कांग्रेस का कहना है कि हम केवल एक पद नहीं देने पर आपत्ति जता रहे हैं।