New Hindi Film On OTT: मोनिका ओ माई डार्लिंग के शुरुआती मिनटों में मोनिका (हुमा कुरैशी) जब जयंत अरखेड़कर (राजकुमार राव) को बताती है कि वह उससे प्रेग्नेंट है, तभी जयंत का फोन बजता है. मोनिका कहती है, ‘तू जिम्मेदारी तो उठाएगा नहीं, फोन ही उठा ले.’ फोन है जयंत की मंगेतर निक्की (आकांक्षा रंजन कपूर) का. निक्की उस यूनिकॉर्न रोबोटिक्स कंपनी के मालिक सत्यनारायण अधिकारी की बेटी है, जिसमें जयंत को अभी-अभी प्रमोशन मिला है और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जगह भी. तभी आप समझ जाते हैं कि कहानी में सस्पेंस की बुनियाद रख दी गई है.

लेकिन यह सस्पेंस तब बुरी तरह चौंकाता है जब एक होटल में जयंत, अधिकारी का बेटा निशिकांत (सिकंदर खेर) और कंपनी का अकाउंटेंट अरविंद (भगवती पेरूमल) मिलते हैं. जयंत को पता चलता है कि मोनिका इन दोनों को भी यह कहते हुए फंसा रही है कि उसके पेट में इनका बच्चा है! अब क्या किया जाएॽ

तीनों मिलकर तय करते हैं कि उन्हें मोनिका से खतरा है और किसी दिन वह उनकी जिंदगी खतरे में डाल देगी. अतः बेहतर है कि मोनिका का कत्ल करके ठिकाने लगाया जाए. फुलप्रूफ प्लान बनता है और एक रात उस पर अमल भी होता है. मगर अगले दिन मोनिका ऑफिस की मीटिंग में पहुंचती है और फिर एक के बाद एक हत्याओं का सिलसिला शुरू होता है! आखिर यह क्या मामला हैॽ

कहानी और संगीत का कदमताल

मोनिका ओ माई डार्लिंग में कुछ-कुछ मिनटों में आते ट्विस्ट एंड टर्न दर्शक को आराम से नहीं बैठने देते. पटकथा और एडिटिंग भी कहानी की तरह चुस्त-दुरुस्त है. संगीत गुजरे जमाने का टच लिए हुए है. काफी दिनों बाद ऐसी फिल्म मिली है, जिसका बैकग्राउंड म्यूजिक और गाने कहानी के साथ कदमताल करते हुए अपना एहसास सीन-दर-सीन कराते हैं. यह ऐसी फिल्म है, जिसके बारे में आप किसी से भी कह सकते हैं, जरूर देखना. मर्द को दर्द नहीं होता (2018) जैसी फिल्म बना चुके निर्देशक वासन बाला का काम सधा हुआ है और उन्होंने एक-एक सीन को खूबसूरती से जमाया है. वह कहीं भी कहानी पर पकड़ ढीली नहीं पड़ने देते हैं.

किरदारों पर किया काम

मोनिका ओ माई डार्लिंग जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस के लिए है. लेकिन यह फिल्म डायरेक्ट नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. निश्चित ही सिनेमाघरों के साथ ओटीटी को भी आज अच्छे कंटेंट की जरूरत है. अगर मोनिका ओ डार्लिंग जैसी कहानियों पर गंभीरता से काम हो तो तय है कि हिंदी के दर्शक वापस अपने सिनेमा की तरफ लौट सकते हैं. यहां पूरा फोकस कहानी पर है और इसके एक-एक किरदार पर काम किया गया है. कहानी के दूसरे हाफ में एसीपी नायडु के रूप में राधिका आप्टे की एंट्री होती है और वह पूरे तनावपूर्ण माहौल में हल्के-फुल्के कॉमिक अंदाज में अपनी मौजूदगी के साथ अलग पहचान बनाती हैं. सिकंदर खेर शुरुआत में थोड़ी देर के लिए हैं, लेकिन उनका परफॉरमेंस दमदार है. वह बताते हैं कि उनमें दम है, लेकिन सवाल अच्छे किरदार चुनने का है. किसी भी एक्टर के करियर में उनके फिल्मों के चयन का बड़ा हाथ होता है. खंडाला की एक होटल में, जहां सिकंदर मोनिका के मर्डर के प्लान के लिए राजकुमार और भगवती को बुलाते हैं, वह सीन बढ़िया बना है. इसमें सिकंदर शानदार काम करते दिखे हैं.

लगातार नए मोड़

राजकुमार राव फिल्म को लीड करते हैं, लेकिन उन्हें हुमा कुरैशी, आकांक्षा रंजन और जायन मारी खान का बराबर सहयोग मिला है. खास तौर पर मोनिका के रोल में हुमा अपनी छाप छोड़ती हैं. पिछले हफ्ते हुमा की फिल्म डबल एक्सएल रिलीज हुई थी. उस फिल्म के मुकाबले वह यहां बहुत बेहतर हैं. फिल्म की ओपनिंग में उनका डांस बढ़िया है, वह खूबसूरत दिखी हैं और इस गाने ‘ये एक जिंदगी’ को आप बार-बार देख सकते हैं. हुमा का यह परफॉरमेंस फिल्म का मूड सैट कर देता है. राजकुमार का अभिनय अच्छा है और वह कहानी के उतार-चढ़ाव के मुताबिक खुद को ढालते हैं. फिल्म में मर्डर और सस्पेंस का सिलसिला मोनिका की कहानी को रोचक बनाए रखता है. देखने वाले अपने हिसाब से अनुमान लगते हैं, लेकिन कहानी आगे चल कर एक नए मोड़ पर नजर आती है.

जाना है जापान

मोनिका ओ माई डार्लिंग जापानी टीवी सीरीज ब्रूतुस ना शिंजो (2011) का हिंदी फिल्म रूपांतरण है. यह सीरीज इसी नाम के एक नॉवेल पर आधारित है. अंधाधुन (2018) के राइटर योगेश चंदेकर ने यह रूपांतरण किया है और वह अपने काम में सफल हैं. निश्चित ही इस समय बॉलीवुड कहानियों के संकट के दौर से गुजर रहा है और लोगों ने रीमेक फिल्मों से किनारा कर लिया है. मगर मोनिका ओ माई डार्लिंग की तरह कहानियों का चयन हो और उनके रूपांतरण पर मेहनत हो, तब ये फिल्में दर्शकों को पसंद आ सकती हैं. वीकेंड में अगर आपके पास समय और नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन है तो आप कह सकते हैं, मोनिका ओ माई डार्लिंग.

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