
विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में होगा ऑपरेशन, समय पर फैसला बना जिंदगी का सवाल
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार 14 वर्षीय आठवीं कक्षा की छात्रा के गंभीर मामले में गंभीर स्वास्थ्य खतरे को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह आदेश विशेषज्ञ डॉक्टरों की सिफारिश और विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दिया है।
हाई कोर्ट ने लिया त्वरित संज्ञान
पीड़िता गर्भधारण के बाद से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही थी। डॉक्टरों ने कोर्ट को स्पष्ट किया कि यदि समय रहते गर्भपात नहीं हुआ, तो किशोरी की जान को सीधा खतरा हो सकता है। इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने फौरन गर्भपात की इजाजत दे दी।

आरोपी के बहकावे में आई नाबालिग, हुआ दुष्कर्म
घटना के मुताबिक, आरोपी किशोरी को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ BNS की धारा 64(1), 64(2), 64(2)(F), 64(2)(M), 365(2) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मेडिकल जांच में पुष्टि: भ्रूण जीवित, लेकिन मां की जान खतरे में
सरकारी अस्पताल में हुई जांच में यह सामने आया कि पीड़िता 10 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती है और भ्रूण जीवित है। शुरुआत में डॉक्टरों ने कानूनी एवं मेडिकल जटिलताओं के चलते गर्भपात की अनुमति नहीं दी थी। लेकिन स्वास्थ्य बिगड़ने पर सीएमएचओ की निगरानी में एक विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गई।
विशेषज्ञों की निगरानी में कराया जाएगा गर्भपात
कोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट किया कि गर्भपात से पीड़िता की जान को कोई खतरा नहीं होगा। इसलिए कोर्ट ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में सुरक्षित ऑपरेशन की अनुमति दे दी। यह निर्णय पीड़िता के जीवन को बचाने की दिशा में एक संवेदनशील और मानवीय कदम माना जा रहा है।
