रायपुर। छत्तीसगढ़ मध्यान्ह भोजन रसोइया महासंघ ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव को पत्र लिखकर रसोइयों के मानदेय में 50% वृद्धि की मांग की है। महासंघ ने विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा द्वारा जारी घोषणा पत्र ‘मोदी की गारंटी’ का हवाला देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार वादा पूरा करे

प्रदेश की 87500 रसोइयां बना रहीं लाखों बच्चों का भोजन

महासंघ ने पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में स्थित शासकीय विद्यालयों में लगभग 87,500 रसोइये मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत बच्चों के लिए भोजन बना रही हैं। यह सेवा लंबे समय से जारी है, लेकिन वेतन वृद्धि 8 वर्षों से नहीं हुई है।

सरकार को केंद्र से मदद नहीं मांगनी पड़ेगी – महासंघ का दावा

महासंघ का कहना है कि यदि राज्य सरकार वर्तमान श्रम आयुक्त दर में बदलाव करे, तो केंद्र सरकार से अलग से सहायता लेने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बताया कि:

  • पिछली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में कोई संशोधन नहीं किया

  • पहले की भाजपा सरकार हर 5 वर्षों में मजदूरी दर में संशोधन करती थी।

  • श्रम आयुक्त दर के आधार पर कलेक्टर दर तय की जाती है, जिससे सभी जिलों के मजदूरी मानक प्रभावित होते हैं।

2025 के बजट सत्र में मांगों को शामिल करने की अपील

महासंघ ने मांग की है कि सरकार:

  • 2025 के बजट सत्र में रसोइयों की न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी को शामिल करे।

  • मासिक वेतन भुगतान की तिथि सुनिश्चित करे।

  • स्कूल शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएं ताकि हर माह नियत तिथि तक भुगतान हो सके।

‘वादा निभाएं, हम भी परिवार चलाते हैं’ – रसोइयों की अपील

रसोइयों ने कहा है कि वे भी राज्य की सेवा कर रहे हैं, उन्हें निर्धारित समय पर वेतन और वाजिब मजदूरी मिलना चाहिए। उनका मानना है कि वादा निभाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।

 

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