Mahashivratri Mantra Jaap: शनि देव को कर्मफल दाता और दंड नायक के नाम से जाना जाता है. व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब शनि देव रखते हैं और उन्हें उसी के मुताबिक फल देते हैं. शनि की कुदृष्टि या क्रोध व्यक्ति को बर्बाद कर देता है. लेकिन शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ के भक्तों पर शनि अपनी कुदृष्टि नहीं डालते. कहते हैं कि महादेव के भक्तों पर शनि की साढ़े और ढैय्या का भी प्रभाव नहीं पड़ता.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फिल्हाल कर्क, वृश्चिक, कुंभ और मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती चल रही है. इस वजह से इन जातकों को शनि के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर व्यक्ति महाशिवरात्रि पर शिव जी के इन मंत्रों का जाप करता है, तो शनि दिन उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते.

महाशिवरात्रि 2023 पर करें ये उपाय

– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप भी शनि की साढ़े साती से गुजर रहे हैं, तो ऐसे में भगवान शिव की पूजा करें. ज्योतिषीयों का कहना है कि इस दिन शनि के प्रकोप से बचने के लिए महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. साथ ही, विधिविधान के साथ शिव दी के 51 मंत्रों का जाप करें.

महाशिवरात्रि पर करें इन मंत्रों का जाप

ऊँ रुद्राय नमः।

ऊँ शर्वाय नमः।

ऊँ भवाय नमः।

ऊँ उग्राय नमः।

ऊँ भीमाय नमः।

ऊँ पशुपतये नमः।

ऊँ ईशानाय नमः।

ऊँ महादेवाय नमः।

ऊँ शिवाय नमः।

ऊँ महेश्वराय नमः।

ऊँ शंभवे नमः।

ऊँ पिनाकिने नमः।

ऊँ शशिशेखराय नमः।

ऊँ वामदेवाय नमः।

ऊँ विरूपाक्षाय नमः।

ऊँ कपर्दिने नमः।

ऊँ नीललोहिताय नमः।

ऊँ शंकराय नमः।

ऊँ शूलपाणये नमः।

ऊँ खट्वांगिने नमः।

ऊँ विष्णुवल्लभाय नमः।

ऊँ शिपिविष्टाय नमः।

ऊँ अंबिकानाथाय नमः।

ऊँ श्रीकण्ठाय नमः।

ऊँ भक्तवत्सलाय नमः।

ऊँ त्रिलोकेशाय नमः।

ऊँ शितिकण्ठाय नमः।

ऊँ शिवा प्रियाय नमः।

ऊँ कपालिने नमः।

ऊँ कामारये नमः।

ऊँ अन्धकासुरसूदनाय नमः।

ऊँ गंगाधराय नमः।

ऊँ ललाटाक्षाय नमः।

ऊँ कालकालाय नमः।

ऊँ कृपानिधये नमः।

ऊँ परशुहस्ताय नमः।

ऊँ मृगपाणये नमः।

ऊँ जटाधराय नमः।

ऊँ कैलाशवासिने नमः।

ऊँ कवचिने नमः।

ऊँ कठोराय नमः।

ऊँ त्रिपुरान्तकाय नमः।

ऊँ वृषांकाय नमः।

ऊँ वृषभारूढाय नमः।

ऊँ भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः।

ऊँ सामप्रियाय नमः।

ऊँ स्वरमयाय नमः।

ऊँ त्रयीमूर्तये नमः।

ऊँ अनीश्वराय नमः।

ऊँ सर्वज्ञाय नमः।

ऊँ परमात्मने नमः।

महाशिवरात्रि पर करें ये काम

महाशिवरात्रि में सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शिव मंदिर में जाकर लोटे में जल लेकर उसमें दूध, मिश्री और गंगाजल मिलाएं. इसे शिवलिंग पर अर्पित करें. इसके साथ ही, रुद्राष्टकम और महामृत्युंजय का पाठ करें.

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