Durga Saptashati Path Ke Upay: चैत्र माह की शुरुआत हो चुकी है. इस माह में मां दुर्गा के नवरात्रि भी मनाए जाते हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. ये नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं. कहते हैं कि इन दिनों में मां दुर्गा धरती पर भक्तों के बीच आती हैं और उनसे प्रसन्न होकर खूब कृपा बरसाती हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में लोग नौ दिन दुर्गा सप्तशती का अनुष्ठान करते हैं. कई बार जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ और अन्य तरह के प्रयोग किए जाते हैं. अगर आप भी किसी समस्या को लेकर परेशान हैं, तो आप भी इन उपायों से अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं.

मां दुर्गा बनाएंगी बिगड़े काम

ज्योतिष शास्त्र में दुर्गा सप्तशती पाठ के फायदों के बारे में बताया  गया है. कहते हैं कि मां भगवती के आद्यशक्ति की स्तुति है. शास्त्रों में बताया गया है कि इसे पढ़ने मात्र से ही व्यक्ति का बड़े से बड़ा संकट-कष्ट सब दूर हो जाता है. इसी वजह से इसका इतना ज्यादा महत्व बताया गया है. ज्योतिषीयों का कहना है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की एक विधि-विधान है.अगर पूर्ण विधि के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए, तो निश्चित ही सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

– दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान शुद्धता का ध्यान खासतौर से रखें. स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें. कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर ये पाठ करना चाहिए. इसके साथ ही, पाठ करते समय हाथों से पैरों को न छुएं.

– दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल रंग के कपड़े पर रख लें और उस पर फूल-अक्षत चढ़ाएं. पूजा के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें.

– नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ”ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” का जाप करने से लाभ होता है.

– ज्योतिष अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ में एक-एक शब्द का उच्चराण साफ होना चाहिए. इसमें शब्दों को उल्टा-पुल्टा प्रयोग न करें. बात करते समय इस तरह करें कि एक-एक शब्द आपको सही से सुनाई दे.

– कहते हैं कि पाठ के दौरान जम्हाई नहीं लेनी चाहिए. ये आलस को दर्शाता है. इसलिए मन को शांत और स्थिर रखें.

– अगर किसी दिन समय क कारण दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं कर सकते तो सप्तशती के आखिर में दिए गए कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी से पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें.

– पाठ खत्म हो जाने के बाद आखिर में मां दुर्गा से अपनी किसी भी तरह की भूल चूक के लिए क्षमा प्रार्थना जरूर करें.

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