कोरबा (न्यूज़ टी 20)। 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद विभिन्न नगर निगमों, नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायत इत्यादि में अध्यक्ष या महापौर के पदों पर विराजमान कांग्रेस नेताओं के ऊपर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसी क्रम में अब नगर पालिक निगम, कोरबा के महापौर राजकिशोर प्रसाद का जाति प्रमाण पत्र निलंबित कर दिया गया है। इस आदेश के जिसके बाद विपक्ष ने उन्हें कुर्सी से हटाने के साथ ही अब तक पार्षद और महापौर पद पर रहते हुए जो भी सुविधाएं ली गई, उसकी रिकवरी की मांग शुरू हो गई है। हालांकि इस मामले में कई पेंच है, जिसके चलते कानून के जानकारों के बीच महापौर की कुर्सी को लेकर चर्चा छिड़ गई है।
SDM का ये है आदेश ..?
कोरबा SDM द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि तहसीलदार कोरबा द्वारा 5 दिसंबर 2019 को अनुमोदित अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को प्रथम दृष्ट्या संदेहास्पद एवं कपट पूर्वक प्राप्त करने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अंतिम जांच होने तक निलंबित करने तथा अनावेदक राजकिशोर प्रसाद द्वारा किसी भी प्रकार के हित लाभ के लिए उपयोग नहीं किए जाने संबंधी आदेश जारी करने के निर्देश सक्षम अधिकारी को दिया गया है। उक्त आदेश के तहत राजकिशोर प्रसाद द्वारा अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को किसी भी प्रकार के हितलाभ के लिए उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।
बता दें कि कांग्रेस नेता राजकिशोर प्रसाद ने पहले पार्षद का चुनाव जीता और फिर OBC जाति प्रमाण के आधार पर पिछड़ा वर्ग कोटे से महापौर का पद हासिल किया था। बाद में भाजपा पार्षद ऋतु चौरसिया द्वारा राजकिशोर प्रसाद के अन्य पिछड़ा वर्ग के अस्थाई जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी गई थी।
निगम के नेता प्रतिपक्ष ने रखी कुर्सी से हटाने की मांग…
नगर निगम कोरबा के भाजपा पार्षद और नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने SDM के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि अंततः सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा है कि राजकिशोर प्रसाद ने 4 साल से अधिक समय तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिये महापौर की कुर्सी पर बैठकर पिछड़ा वर्ग के लोगों का हक मारने का काम किया है। हितानंद ने महापौर राजकिशोर प्रसाद को पद से हटाने सहित शासन से उन्होंने जो लाभ प्राप्त किये हैं, उसकी रिकवरी की भी मांग की है।
आइये जानते हैं , क्या है पूरा मामला…
कोरबा महापौर के जाति प्रमाण पत्र को लेकर यह मामला पिछले दो-तीन सालों से चल रहा है। दरअसल उनके प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए भाजपा पार्षद ऋतू चौरसिया ने जिला न्यायलय में वाद दायर किया था। तर्क-वितर्क के बाद जिला न्यायालय ने ऋतू चौरसिया की अपील को खारिज कर दिया।
कोरबा महापौर राजकिशोर प्रसाद का कहना है कि वे सन 1968 से कोरबा के निवासी हैं जबकि OBC की कट ऑफ डेट 21/12/1984 है। ऐसे में उनकी जाति को लेकर जो सवाल उठाये जा रहे हैं, वह उनके ऊपर लागू नहीं होता।
(पहले से ही हाईकोर्ट में विचाराधीन है मामला)
पार्षद ऋतू चौरसिया ने इसके बाद जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है, जहां मामले की सुनवाई चल रही है। इस बीच प्रदेश में जब से सत्ता परिवर्तन हुआ है, कोरबा महापौर राजकिशोर की जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे ने फिर से जोर पकड़ लिया है। इधर एक दिन पहले ही SDM कोरबा ने आदेश जारी करते हुए राजकिशोर प्रसाद के जाति प्रमाण पत्र को निलंबित कर दिया और इस प्रकरण में अंतिम जांच तक उन्हें इस प्रमाण पत्र के आधार पर किसी भी प्रकार का हितलाभ उठाने से प्रतिबंधित कर दिया है।
इस मामले में जानकर बताते हैं कि यह मामला पहले से ही हाई कोर्ट में लंबित है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि अनुविभागीय अधिकारी का आदेश कितना प्रभावी होगा, हालांकि जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति द्वारा प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद जो निर्णय दिया जाता है, वह भी काफी अहम होता है।
(आगामी नगर निगम चुनाव को कुछ ही माह शेष)
आपको ये भी बता दें कि वर्तमान में लोकसभा चुनाव की अधिसूचना लागू होने जा रही है, जिसके बाद लगभग 3 महीने तक आचार संहिता लागू रहेगी। लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों के बाद ही नगरीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में देखना यह है कि महापौर राजकिशोर प्रसाद पूरे 5 साल तक अपनी कुर्सी बचा पाते हैं या नहीं। कोरबा महापौर के इस संकट पर पूरे प्रदेश के राजनीतिज्ञों की निगाहें लगी हुई हैं…