
संयुक्त राष्ट्र महासभा में कड़ा संदेश
न्यूयॉर्क। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना H-1B वीजा विवाद पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक कार्यबल आज की हकीकत है, जिसे कोई भी देश नजरअंदाज नहीं कर सकता।
‘वैश्विक कार्यबल है सच्चाई’
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा:

“यह एक सच्चाई है जिससे कोई भाग नहीं सकता। वैश्विक कार्यबल राजनीतिक बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन अंततः यह आवश्यकता है। कई देश अपनी आबादी से श्रम की मांग पूरी नहीं कर सकते।”
अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती
जयशंकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अधिक स्वीकार्य, समकालीन और कुशल वैश्विक कार्यबल का निर्माण करें। उन्होंने सवाल उठाया कि दुनिया कैसे एक ऐसा वैश्विक मॉडल बनाए जो अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा कर सके।
ट्रंप प्रशासन का कड़ा फैसला
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीजा फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। नई नीति के तहत अब कंपनियों को वीजा के लिए एक लाख डॉलर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। यह खर्च पहले से मौजूद फाइलिंग और लीगल फीस के अलावा होगा, जिससे वीजा प्रक्रिया और भी महंगी हो जाएगी।
भारतीय पेशेवरों पर सबसे बड़ा असर
H-1B वीजा लंबे समय से भारतीय आईटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी पाने का महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। आंकड़ों के अनुसार, इसके करीब 75% लाभार्थी भारतीय होते हैं। ऐसे में नई फीस वृद्धि सीधे तौर पर भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करेगी।
