दुबई: ईरान ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी को अचानक गिरफ्तार कर लिया है, इससे उनके समर्थकों में भारी आक्रोश पैदा हो गया है। नरगिस के नाम पर बनी एक संस्था ने शुक्रवार को बताया कि राजधानी तेहरान से करीब 680 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित मशहद में उनको उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वे एक मानवाधिकार वकील की स्मृति सभा में शामिल होने गई थीं। बता दें कि इस वकील की हाल ही में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
क्या फिर जेल जाएंगी मोहम्मदी
ईरान के एक अधिकारी ने उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है। मगर यह स्पष्ट नहीं है कि इसके बाद 53 वर्षीय मोहम्मदी को तुरंत जेल भेजा जाएगा या नहीं। बता दें कि वे दिसंबर 2024 में चिकित्सीय कारणों से अस्थायी रिहाई पर थीं। अब नरगिस की गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब ईरान बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों पर सख्ती कर रहा है,
क्योंकि देश प्रतिबंधों, खराब होती अर्थव्यवस्था और इजरायल के साथ फिर से युद्ध के डर से जूझ रहा है। मोहम्मदी की गिरफ्तारी से पश्चिमी देशों का ईरान पर दबाव बढ़ सकता है। क्योंकि इस दौरान ईरान बार-बार अपने परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ नई वार्ता की इच्छा जता रहा है, हालांकि यह अभी तक शुरू नहीं हुई है।
नरगिस की रिहाई की मांग
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने मोहम्मदी की गिरफ्तारी पर “गहरी चिंता” व्यक्त की है और ईरानी अधिकारियों से उनकी तुरंत और बिना शर्त रिहाई की मांग की है। समर्थकों ने बताया कि आज सुबह सुरक्षा बलों और पुलिस ने उन्हें हिंसक तरीके से हिरासत में लिया। इसी समारोह में कई अन्य कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया।
यह समारोह मशहद में रहने वाले 46 वर्षीय ईरानी वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता खोसरो अलीकुर्दी की याद में आयोजित किया गया था, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में उनके दफ्तर में मृत पाया गया था। प्रांतीय अधिकारियों ने उनकी मौत को दिल का दौरा बताया, लेकिन मौत के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती बढ़ गई, जिससे कई सवाल उठे हैं।
80 से अधिक वकीलों ने हस्ताक्षर कर की पूरे मामले की जांच की मांग
नरगिस की गिरफ्तारी के बाद 80 से अधिक वकीलों ने हस्ताक्षर करके पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है। न्यूयॉर्क स्थित ‘सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स इन ईरान’ के कार्यकारी निदेशक हादी घाएमी ने कहा, “आज हमने जो देखा, वह इस्लामी गणराज्य द्वारा सबसे बुनियादी मानवीय स्वतंत्रता पर ताजा हमला है,
जहां एक मारे गए वकील के लिए शोक मनाना भी दंडनीय अपराध बन जाता है। जब शांतिपूर्ण नागरिक बिना पीटे और घसीटे जाने के डर के शोक नहीं मना सकते, तो यह एक ऐसी सरकार को उजागर करता है जो सच और जवाबदेही से डरती है। साथ ही यह ईरानियों के असाधारण साहस को भी दिखाता है जो अपनी गरिमा नहीं छोड़ते।”
जमानत पर बाहर थीं नरगिस
वीडियो फुटेज में मोहम्मदी बिना हिजाब के माइक पर दिखाई दे रही हैं और भीड़ से 2022 में सार्वजनिक फांसी पर चढ़ाए गए मजीदरेजा रहनवर्द का नाम पुकारने को कह रही हैं। मशहद के गवर्नर हसन होसैनी ने कहा कि अभियोजकों के आदेश पर “नियम तोड़ने वाले” नारे लगाने वालों को अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने दावों को खारिज किया कि सुरक्षा बलों ने हिंसा का इस्तेमाल किया। मोहम्मदी के समर्थकों ने महीनों से सचेत किया था कि चिकित्सीय छुट्टी के बाद उन्हें फिर से जेल भेजा जा सकता है। दिसंबर 2024 में तीन हफ्ते की छुट्टी मिली थी, लेकिन कार्यकर्ताओं और पश्चिमी दबाव के कारण यह लंबी होती गई। यहां तक कि जून 2025 में ईरान-इजरायल के 12-दिवसीय युद्ध के दौरान भी वे बाहर रहीं। वे लगातार सक्रिय रहीं। सार्वजनिक प्रदर्शन किए, अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बात की और एक बार तेहरान की कुख्यात एबीएनएछ जेल के सामने भी प्रदर्शन किया।
मोहम्मदी को इस मामले में सुनाई गई है 13 साल से अधिक की सजा
मोहम्मदी को राज्य सुरक्षा के खिलाफ साजिश और सरकार के खिलाफ प्रचार के आरोप में 13 साल 9 महीने की सजा सुनाई गई थी। वे 2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद भड़के राष्ट्रव्यापी आंदोलन का भी समर्थन कर रही थीं, जिसमें महिलाएं खुले तौर पर हिजाब न पहनकर सरकार को चुनौती दे रही थीं।
जेल में रहते हुए उन्हें कई बार-बार दिल का दौरा पड़ा था और 2022 में इमरजेंसी सर्जरी करानी पड़ी थी। नवंबर 2024 में उनकी टांग से हटाए गए हड्डी के घाव को लेकर कैंसर का डर था। फरवरी 2025 में उनके डॉक्टरों ने कम से कम 6 महीने और चिकित्सीय अवकाश बढ़ाने की सिफारिश की थी, क्योंकि जेल लौटने से उनकी सेहत को गंभीर खतरा था।