CPI in June: जून में आए महंगाई दर के आंकड़ों ने सरकार और आरबीआई (RBI) दोनों की चिंता बढ़ा दी है. सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई दर 4 प्रतिशत पर लाने का टारगेट दिया हुआ है. आरबीआई की तरफ से इस पर लगातार कोशिश भी की जा रही है. लेकिन अब रिटेल महंगाई दर चढ़कर चार महीने के हाई लेवल 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई है. जनवरी से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड महंगाई दर के आंकड़े में गिरावट आ रही थी. लेकिन जून के महीने में यह 5 प्रतिशत के पार निकल गई.
क्यों बढ़ी महंगाई दर
सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थों की कीमत में तेजी आने से जून के महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर चार महीने के हाई लेवल 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई. खुदरा महंगाई दर जनवरी से गिरावट देखी जा रही थी. मई 2024 में यह घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ गई थी. जून 2023 में यह 4.87 प्रतिशत पर थी. खुदरा महंगाई दर का पिछला हाई लेवल फरवरी में 5.09 प्रतिशत रहा था. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य समूह में शामिल उत्पादों की महंगाई दर जून में बढ़कर 9.36 प्रतिशत पर पहुंच गई. मई में यह 8.69 प्रतिशत पर थी.
सब्जियों की कीमत ने भी लगाई आग!
कड़क गर्मी से प्रभावित रहे जून के महीने में सब्जियों की कीमत सालाना आधार पर सबसे ज्यादा 29.32 प्रतिशत बढ़ गईं. उसके बाद ‘दालें और उत्पाद’ में महंगाई 16.07 प्रतिशत रही. जून में ‘अनाज और उत्पाद’ के अलावा फलों के दाम भी एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में महंगे रहे. एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि जून में ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 5.66 प्रतिशत रही जबकि शहरी भारत में महंगाई दर 4.39 प्रतिशत रही.
सब्जियों की कीमत में तेजी से उछाल दर्ज किया गया
रेटिंग एजेंसी इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने खुदरा महंगाई के इन आंकड़ों पर कहा कि जून में मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थों की कीमत में 8 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी के कारण खुदरा महंगाई बढ़ी. इस दौरान सब्जियों की कीमत में तेजी से उछाल दर्ज की गई.
हालांकि नायर ने कहा कि खाद्य और पेय पदार्थों को छोड़कर अन्य सभी उप-समूहों में महंगाई जून में चार प्रतिशत से नीचे ही रही. उन्होंने कहा, यदि मानसून के बाकी दिनों में सामान्य बारिश रहती है और वर्षा वितरण भी अनुकूल रहता है तो खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निश्चित रूप से अनुकूल हो जाता है.
वैश्विक या घरेलू स्तर पर कोई दूसरा झटका नहीं लगने पर हम अक्टूबर 2024 में नीतिगत रुख में बदलाव और दिसंबर 2024 एवं फरवरी 2025 में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं. एनएसओ के मुताबिक, जून में सबसे अधिक मुद्रास्फीति ओडिशा (7.22 प्रतिशत) और सबसे कम दिल्ली (2.18 प्रतिशत) में रही. एनएसओ साप्ताहिक आधार पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से आंकड़े जुटाता है.