भारत की सबसे गंदी ट्रेनें: इन ट्रेनों में सफर करने से पहले ज़रूर पढ़ें ये रिपोर्ट...

भारतीय रेलवे करोड़ों यात्रियों की जीवनरेखा है, लेकिन हर ट्रेन आरामदायक और साफ नहीं होती। कुछ ट्रेनें ऐसी हैं जिनमें सफर करना एक भयानक अनुभव बन सकता है। गंदे शौचालय, बदबूदार केबिन और गंदगी से भरे डिब्बे – ये सब यात्री अपने रिव्यू में अक्सर साझा करते हैं। अगर आप इन ट्रेनों में टिकट बुक करने का सोच रहे हैं, तो पहले इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ लें।

1. सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस

बिहार और पंजाब को जोड़ने वाली यह गरीब रथ ट्रेन अपने गंदे माहौल के लिए कुख्यात है।

  • शौचालयों में बदबू और गंदगी

  • सिंक से आती तीव्र दुर्गंध

  • यात्रियों की लगातार शिकायतें
    रेलवे को कई बार शिकायतें मिलने के बावजूद साफ-सफाई में खास सुधार नहीं हुआ है।

2. सीमांचल एक्सप्रेस (दिल्ली–जोगबनी)

दिल्ली से बिहार के जोगबनी तक चलने वाली यह ट्रेन रेलवे की सबसे ज्यादा शिकायत पाने वाली ट्रेनों में से एक है।

  • सीटें गंदी

  • शौचालय अति गंदे

  • केबिन में कूड़ा और बदबू
    अक्सर यात्री बताते हैं कि इस ट्रेन में सफर करना बीमार पड़ने जैसा अनुभव होता है।

3. माता वैष्णो देवी-बांद्रा स्वराज एक्सप्रेस

श्रद्धालुओं के लिए चलाई जा रही यह ट्रेन भी गंदगी की वजह से बदनाम हो चुकी है।

  • 2023 में रेलवे को 61 से अधिक सफाई संबंधी शिकायतें

  • शौचालयों की नियमित सफाई न होना

  • यात्रियों का अनुभव बेहद असहज

4. फिरोजपुर-अगरतला त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस

पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने वाली इस ट्रेन में सफर करना एक सफाई चुनौती जैसा है।

  • सीटों का मेंटेनेंस बेहद खराब

  • डिब्बों में कूड़े की भरमार

  • सफर के दौरान लगातार असुविधा का अनुभव

 5. अजमेर-जम्मू तवी पूजा एक्सप्रेस

उत्तर भारत की यह लंबी दूरी की ट्रेन साफ-सफाई में फेल मानी जाती है।

  • यात्रियों की राय में “सबसे गंदी ट्रेन”

  • गंदगी के कारण कई यात्री यात्रा बीच में छोड़ चुके हैं

  • डिब्बों से उठती बदबू और जमी हुई गंदगी

सफाई से समझौता नहीं करें – ट्रेनों के चुनाव में बरतें सावधानी!

यदि आप इन ट्रेनों से यात्रा करने जा रहे हैं, तो संभव हो तो वैकल्पिक ट्रेन का चुनाव करें। भारतीय रेलवे में कई अन्य ट्रेनें हैं जो अच्छी साफ-सफाई और बेहतर सुविधा प्रदान करती हैं। ये रिपोर्ट न केवल यात्री जागरूकता बढ़ाने का कार्य करती है, बल्कि रेलवे प्रशासन को भी सुधार के लिए प्रेरित करती है।

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