
भारत की कूटनीति ने सबको चौंकाया
संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए मतदान ने भारत की कूटनीति को फिर सुर्खियों में ला दिया है। शुक्रवार को फिलिस्तीन के पक्ष में लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने अपना समर्थन जताया। इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को लेकर नई चर्चाएँ शुरू हो गईं।
फिलिस्तीन राष्ट्रपति को संबोधन की अनुमति
प्रस्ताव का संबंध फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए UN के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करने की अनुमति से था। इजरायल ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया, जबकि भारत ने इसका समर्थन कर दुनिया को हैरान कर दिया।

इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से संतुलन
भारत लंबे समय से इजरायल का करीबी सहयोगी माना जाता है, लेकिन फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत का यह रुख बताता है कि वह दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने में सक्षम है। यही भारत की कूटनीति को दुनिया के लिए खास और अलग बनाता है।
अमेरिका ने दिया इजरायल का साथ
इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका और इजरायल ने वोट किया। वहीं 145 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, 5 देशों ने विरोध किया और 6 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव में अमेरिका के उस फैसले पर खेद जताया गया जिसमें उसने फिलिस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर दिया था।
कब होगा संबोधन?
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 23 सितंबर से शुरू होगा। इसमें 25 सितंबर को फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे। यह संबोधन वैश्विक राजनीति में अहम माना जा रहा है।
