Income Tax Saving: इनकम पर टैक्स भी चुकाना पड़ता है. हालांकि इस टैक्स को कुछ तरीकों से बचाया भी जा सकता है. आयकर अधिनियम कुछ प्रकार के निवेशों के लिए टैक्स कटौती की अनुमति देता है. जैसे कि भविष्य निधि, दान और जीवन बीमा प्रीमियम आदि में योगदान. ये कटौती लोगों को सेविंग और इंवेस्टमेंट करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जो आर्थिक विकास को गति देने में मदद कर सकती हैं. ऐसे में किन तरीकों से आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं, यहां हम उसके बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं.

टैक्स सेविंग

यहां कुछ आसान टैक्स सेविंग टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं. हालांकि व्यक्तियों को ध्यान देना चाहिए कि जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे पेशेवर सलाह नहीं माना जाना चाहिए. कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले आपको अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के लिए पेशेवर सलाह लेनी चाहिए.

इनसे बचा सकते हैं टैक्स

इंवेस्टमेंट- सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी), इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस) जैसे कर-बचत साधनों में निवेश करें. इन साधनों में निवेश करने से आपको टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है.

कटौती का दावा करें- आप विभिन्न खर्चों जैसे चिकित्सा व्यय, शिक्षा व्यय और अन्य के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं. कटौती का दावा करने के लिए सभी आवश्यक रसीदें और बिल रखना सुनिश्चित करें.

धारा 80C का उपयोग करें- आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत आप 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं. इसमें पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस जैसे टैक्स सेविंग उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

धारा 80डी का उपयोग करें- धारा 80डी के तहत आप अपने, अपने जीवनसाथी और अपने आश्रित बच्चों के लिए भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती का दावा कर सकते हैं.

धारा 80TTA का उपयोग करें- धारा 80TTA के तहत आप बचत खातों पर अर्जित ब्याज पर अधिकतम 10 हजार रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं.

अपने निवेश पर नजर रखें- अपने सभी निवेशों पर नजर रखना सुनिश्चित करें और उसके बाद कटौती का दावा करें.

समय पर अपना टैक्स रिटर्न फाइल करें- समय पर अपना टैक्स रिटर्न फाइल करने से आपको जुर्माने से बचने में मदद मिल सकती है और यह भी सुनिश्चित हो सकता है कि आप टैक्स बचाने के किसी भी अवसर से चूक न जाएं.

करदाताओं को ध्यान देना चाहिए कि आपके लिए उपलब्ध कटौतियां आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आपके जरिए चुनी गई व्यवस्था (पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था) तक सीमित हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप उपलब्ध विकल्पों का अधिकतम लाभ उठा रहे हैं, आप कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने जानकार टैक्स पेशेवर से परामर्श भी कर लें.

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