Cost Inflation Index: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले नए फाइनेंशियल ईयर के लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (Cost Inflation Index) की घोषणा की गई है. इस इंडेक्स का इस्तेमाल जमीन, शेयर और गहनों की बिक्री से लंबे समय में होने वाले कैपिटल गेन की गणना करने के लिए किया जाता है. सीबीडीटी (CBDT) की तरफ से यह नोटिफिकेशन इसलिए जारी किया गया है क्योंकि चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में पुरानी चीज की बिक्री पर आपको फायदा हो सकता है. इस तरह होने वाले फायदे पर विभाग की तरफ से टैक्स लिया जाता है.
एक साल पहले 348 था सीआईआई
आपको टैक्स कितना देना होगा यह इस पर निर्भर करता है कि आपने जो चीज बेकी है, उसे कब खरीदा था. इसलिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) जारी किया है. आसान भाषा में कहें तो यह बताता है कि कितने सालों में दाम कितने बढ़े हैं. साल 2024-25 के लिए यह सूचकांक 363 है. इससे पहले साल 2023-24 के लिए सीआईआई (CII) 348 था. वहीं, 2022-23 में यह 331 था. दरअसल, साल दर साल जैसे-जैसे चीजों के दाम बढ़ते हैं. वैसे-वैसे पुराने सामान की बिक्री पर फायदा होता है. इस फायदे पर इनकम टैक्स विभाग टैक्स लगाने के लिए CII का इस्तेमाल करता है.
क्या होता है सीआईआई
मान लीजिए आपने 10 साल पहले एक घर खरीदा था. आज आप इसे उस समय से ज्यादा कीमत पर बेच सकते हैं. दरअसल, महंगाई (inflation) की वजह से कीमत बढ़ती है. महंगाई से हर साल चीजों के दाम बढ़ते जाते हैं. इसलिए 10 साल पहले आपने जो घर खरीदा था, आज आप उसे ज्यादा दाम पर बेच सकते हैं. ज्यादा दाम दरअसल पैसे की कम होती खरीदारी की वजह से लगता है. सीआईआई इसी फर्क को बताता है. ये आपके पुराने सामान की कीमत को आज के दामों के हिसाब से ठीक कर देता है. इस वजह से, टैक्स कटौती करने वालों को पता चलता है कि आपका असली फायदा कितना हुआ है और आपको उसी हिसाब से टैक्स देना होता है.
उदाहरण से ऐसे समझें
मान लीजिए आपने साल 2014 में 10 लाख रुपये में एक घर खरीदा था. 2024 में आपने इसे 20 लाख रुपये में बेच दिया. सीआईआई, 363 का इस्तेमाल करके आपका कैपिटल गेन इस प्रकार होगा-
> कैपिटल गेन-बिक्री मूल्य – [खरीद मूल्य x (CII / 100)]
> कैपिटल गेन्स= 20 लाख – [10 लाख रुपयेx (363 / 100)]
> कैपिटल गेन्स= 8.63 लाख रुपये
यानी आपको कुल 8.63 लाख रुपये के कैपिटल गेन्स पर टैक्स देना होगा. यह केवल उदाहरण है, आपकी वास्तविक टैक्स की देनदारी आपके व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.