सूरजपुर जिले के चांदनी बिहारपुर इलाके ग्राम लुलह गांव तक सड़क नहीं होने से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई। मजबूरी में परिजन प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती को खाट पर लेकर 15 किलोमीटर पैदल चले तो दूसरे केस में गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचने पर महिला को 13 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। हालाांकि तमान मुश्किलों को झेलने के बाद दोनों महिलाओं ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
शनिवार की सुबह लूलह निवासी कैलोबाई 22 वर्ष प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे खाट पर लेटाकर तीन घंटे में 15 किलोमीटर चलकर परिजन खोहिर गांव पहुंचे, जहां उन्हें एम्बुलेंस की सुविधा मिली। स्वास्थ्य कर्मी महुली स्वास्थ केंद्र लेकर जाते, पर वहां ताला बंद होने से महुली से 12 किलोमीटर दूर बिहारपुर पहुंचे। यहां डाक्टरों ने उसे सूरजपुर जिला अस्पताल रेफर किया, पर डाक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखकर उसे अंबिकापुर मेडिकल कालेज भेज दिया।
ऐसा ही दूसरा मामला बिहारपुर इलाके के बैजनपाठ में सामने आया, जहां बैजनपाट निवासी ऋतु यादव 25 वर्ष को प्रसव पीड़ा होने पर सड़क के अभाव में सीधे अस्पताल नहीं ले जा सके। घर में खाट नहीं होने से प्रसूता घर से पैदल 13 किलाेमीटर चलकर खोहिर पहुंची। खोहिर गांव में उसे 108 एम्बुलेंस मिली। उसे पहले बिहारपुर स्वास्थ केन्द्र फिर सूरजपुर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने बच्चे को जन्म दिया।
स्वास्थ्य केंद्र रहता है बंद
महुली उप स्वास्थ्य केंद्र पर 20 से अधिक गांव के लोग निर्भर हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। ग्रामीणों ने बताया कि महुली उपस्वास्थ्य केंद्र हमेशा बंद रहता है। एक नर्स है, जो प्रतापपुर से आना जाना करती है और सप्ताह में एक दिन ही केन्द्र खुलता है। कई बार शिकायत के बाद भी यहां की व्यवस्था नहीं सुधर रही है।
कमियां दूर की जा रही
इस पूरे मामले में मुख्य जिला चिकित्साधिकारी में बताया कि कमियां दूर की जा रही हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य में अपग्रेड किया जाएगा। दूरस्थ अंचलों में बाइक एम्बुलेंस की व्यवस्था बनाई जा रही है।
डॉ आर एस सिंह, मुख्य जिला चिकित्साधिकारी, सूरजपुर