रायगढ़ से श्याम भोजवानी
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक दलों के हार – जीत एवं उनके सत्ता सिंहासन को बचाए रखने या उसे उखाड़ फेंकने में किसानों का बड़ा योगदान रहता है और राजनीतिक दल भी इन्हीं कारणों से किसानों को अपनी राजनीति के केंद्र में रखकर इनके हितों के लिए कई तरह की योजनाएं भी बनाते है। गौरतलब़ है कि छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दल जिन किसानों के भरोसे सरकार खड़ा करती है। आज उन्ही किसानों पर भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूब चुके धान खरीदी केंद्रो की मनमानी भारी पड़ती नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के सत्ता विहीन होने के बाद एक बार फिर से भाजपा को सत्ता सिंहासन वापस मिली है। किसानों ने जनादेश के रूप में भाजपा सरकार पर अपना भरोसा जताते हुए पूरे प्रदेश में भारी बहुमत से जीत भी दिलाई है।
आपको बता दे छत्तीसगढ़ में चुनाव पूर्व भाजपा के नेताओं ने भी किसानों से कई वादे किये है। उन वादों को अब मुख्यमंत्री के रूप में विष्णुदेव साय की सरकार प्रधानमन्त्री मोदी की गारंटी के तहत पूरी करने में जुटी है। तो वही दूसरी तरफ नवगठित भाजपा सरकार मे भी मस्तूरी विकासखंड के भरारी धान खरीदी केंद्र में किसानों से धान सूखती के नाम पर तौल से अधिक धान लेकर किसानों को लूटने का काम बदस्तुर जारी है।
किसानों के मुताबिक यहाँ प्रति बोरी 41 किलो 500 ग्राम धान खरीदी की जा रही है. जबकि शासन ने 40 किलो प्रति बोरी धान खरीदी की अनुमति दी है। उसके बाद भी सूखती के नाम पर किसानों से प्रति बोरी 1 किलो 500 ग्राम अतिरिक्त धान लेना समिति प्रबंधन के भ्रष्टाचार का पक्का सबूत है। यही नही पंजीयन क्रमांक 558 भरारी धान खरीदी केंद्र में किसान टोकन के लिए महीनों से चक्कर काट रहे है और धान बेचने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि उन्हें टोकन के लिए चक्कर कटवाया जा रहा है। किसानों की समस्याओं के संबंध में जब मीडियाकर्मियों ने मंडी प्रबंधक से बात करना चाहा तो मंडी प्रबंधक मरावी मीडियाकर्मियों पर ही भड़क उठे, मीडियाकर्मियों को कलेक्टर की अनुमति लेकर आने की बात कहने लगे, लेकिन जब मंडी प्रबंधक की मनमानी मीडियाकर्मियों के आगे नही चली तो अंततः उन्हें कबूल करना पड़ा कि वे किसानों से अतिरिक्त धान ले रहे है।
यहां जानना जरूरी होगा कि मस्तूरी विकासखंड के धान खरीदी केंद्र भरारी के भ्रष्टाचार का लेखाजोखा किया जाए तो समिति प्रबंधन किसानों के 93 लाख रुपये हज़म कर रहा है। यहाँ किसानों से 1 किलो 500 ग्राम अतिरिक्त धान लिया जा रहा है और धान खरीदी केंद्र की क्षमता 80 हजार क्विंटल है। 1 किलो 500 ग्राम अतिरिक्त धान खरीदी के हिसाब से 1 क्विंटल के पीछे मंडी प्रबंधन किसानों से 3 किलो 750 ग्राम अतिरिक्त धान ले रहा है ।इसके अनुसार 1 हजार किलो के पीछे 37 किलो 500 ग्राम अतिरिक्त धान ले रहा है। अगर भरारी मंडी में 80 हजार क्विंटल धान की खरीदी होती है तो किसानों के 3 हजार क्विंटल धान को समिति प्रबंधन हज़म कर रहा है। जिसकी कुल कीमत 93 लाख रूपए होती है।
इस तरह से केवल भरारी धान खरीदी केन्द्र में 93 लाख रुपये के भ्रष्टाचार को समिति प्रबंधन अंजाम दे रहा है यही नही अन्य कई धान मंडियों का भी यही हाल है उसके बाद भी इस महाभ्रष्टाचार के खिलाफ आज तक शासन प्रशासन ने किसी प्रकार का कड़ा रुख नही अपनाया है जिसका खामियाजा किसानों को चुकाना पड़ रहा है और फायदा भ्रष्ट समिति प्रबंधनों को मिल रहा है। इस पर अंकुश लगाने अब तक कोई कारगर उपाय नहीं किए गए हैं । जिसके कारण किसानों को अपनी कड़ी मेहनत से उगाए गए धान को बेवजह अतिरिक्त रूप से मंडियों को देकर घाटे का सौदा करना पड़ता है क्योंकि वे मंडी संचालकों की मनमानी के चलते उनके हिसाब से धान बेचने को मजबुर है।