
बिलासपुर से हाईकोर्ट का अहम आदेश
बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक तलाक के मामले में पत्नी के टेक्स्ट मैसेज को सबूत मानते हुए पति को तलाक की अनुमति दी है। कोर्ट ने माना कि पति को माता-पिता से अलग रहने के लिए मजबूर करना और अपमानजनक शब्द कहना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है।
पति को मिली राहत, पत्नी को गुजारा भत्ता
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद) ने फैमिली कोर्ट रायपुर के फैसले को बरकरार रखा।

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पत्नी को 5 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया।
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बेटे की परवरिश के लिए हर माह 6 हजार रुपये और बेटे को 1 हजार रुपये का गुजारा भत्ता भी तय किया गया।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
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शादी: 28 जून 2009
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बेटा: 5 जून 2010
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पत्नी अगस्त 2010 में तीजा पर मायके गई और फिर वापस नहीं लौटी।
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पति ने 2019 में तलाक के लिए याचिका दायर की।
पति ने आरोप लगाया कि:
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पत्नी ने उनके माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया।
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अलग रहने की जिद की और अपमानजनक शब्द “पालतू चूहा” कहा।
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शारीरिक नुकसान भी पहुंचाया और खुद गर्भपात का प्रयास किया।
टेक्स्ट मैसेज बना सबूत
सुनवाई के दौरान पत्नी का भेजा हुआ एक मैसेज सामने आया। उसमें लिखा था:
👉 “अगर तुम अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हो तो जवाब दो, वरना मत पूछो।”
पत्नी ने कोर्ट में स्वीकार किया कि यह मैसेज उसी ने भेजा था। साथ ही यह भी माना कि वह अगस्त 2010 के बाद कभी ससुराल नहीं लौटी।
कोर्ट का स्पष्ट संदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय संयुक्त परिवार की व्यवस्था में पति को माता-पिता से अलग करने की जिद मानसिक क्रूरता है। यही कारण है कि पति को तलाक की अनुमति दी गई।
