
गरियाबंद/रायपुर — महिला आयोग में मंगलवार को हुई सुनवाई में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। गरियाबंद की एक महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति उसे पत्नी और उनके बच्चे को अपना संतान मानने से इंकार कर रहा है।
आयोग ने दिए डीएनए जांच के आदेश
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आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने इस मामले में गरियाबंद कलेक्टर को पत्र लिखकर महिला, पुरुष और बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं।
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रिपोर्ट दो माह के भीतर आयोग को सौंपनी होगी।
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स्थानीय पुलिस अधिकारियों को इस प्रक्रिया की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है।
तलाक के बाद भी नहीं दे रहा था भरण-पोषण, आयोग ने दिलाया हक
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एक अन्य मामले में महिला ने बताया कि उसने पति से आपसी सहमति से तलाक लिया, लेकिन वह भरण-पोषण देने से बच रहा था।
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पति खुद को बेरोजगार बता रहा था, लेकिन आयोग की समझाइश के बाद वह मान गया कि वह हर माह 10 तारीख तक ₹2000 महिला को देगा।
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यह राशि महिला की दोबारा शादी तक दी जाएगी। यदि महिला दोबारा विवाह नहीं करती है, तो उसे जीवनभर यह सहायता राशि मिलती रहेगी।
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परिस्थिति बदलने पर राशि में संशोधन भी संभव है। आयोग खुद इसकी निगरानी करेगा।
किराए और फिक्स डिपॉजिट को लेकर आयोग का आदेश
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गुढ़ियारी निवासी एक महिला ने आयोग को बताया कि पति की मौत के बाद सास-ससुर ने उनके अधिकार छीन लिए हैं।
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गुढ़ियारी और सोनडोंगरी की संपत्तियों से मिलने वाला किराया भी सास ले रही है।
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पति की मृत्यु के बाद मिलने वाली ₹4 लाख की बीमा राशि भी सास ने रख ली।
आयोग का समाधान:
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सभी को एक साथ एक ही घर में रहने की सलाह दी गई।
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महिला को हर माह ₹6,000 किराए में से देने के निर्देश।
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₹4 लाख में से ₹2 लाख बच्चों के नाम फिक्स डिपॉजिट करने के आदेश ताकि उनकी पढ़ाई सुरक्षित रहे।
