भुवनेश्वर. उड़ीसा हाईकोर्ट ने रेप को लेकर अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शादी का झांसा देकर सहमति से शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं आता है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दुष्कर्म से जुड़े कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल अंतरंग संबधों को नियंत्रित करने में नहीं किया जाना चाहिए, जब एक महिला अपनी मर्जी से ऐसे संबंधों में शामिल होती है.
हाईकोर्ट ने रेप के एक आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की. कोर्ट ने आगे कहा कि यदि कोई महिला सहमति से यौन संबंध बनाती है तो आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म के आपराधिक कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. जस्टिस एसके पाणिग्रही की सिंगल बेंच ने रेप के आरोपी एक युवक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है.
हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी को जमानत देते हुए कहा, ‘बिना किसी आश्वासन के सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध के मामले को आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म के लिए सजा का प्रावधान) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है. शादी के झूठे वादे कर यौन संबंध बनाने को रेप की श्रेणी में रखना उचित नहीं है.
उड़ीसा हाईकोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने को रेप मानना गलत प्रतीत होता है, क्योंकि यह IPC की धारा 375 के तहत दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अभियुक्त जांच प्रक्रिया में सहयोग करेगा और पीड़िता को धमकी नहीं देगा. हाल में ऐसे ही एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगर कोई महिला सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है तो उस मामले में आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 375 का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
इस मामले में अभियुक्त के खिलाफ अन्य आपराधिक कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा सकता है. आरोप के मुताबिक, एक युवक ने शादी का झांसा देकर भोपाल की एक महिला से शारीरिक संबंध बनाए. उसके बाद आरोपी फरार हो गया. स्थानीय पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद आरोपी की ओर से जमानत याचिका दायर की गई थी. निचली अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद आरोपी युवक ने हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी.