भिलाई / इंदिरा गाँधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशालीनगर, भिलाई जिला दुर्ग (छ.ग.) में गुरु पूर्णिमा (व्यास जयंती) संस्कृत विभाग एवम हिंदी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का संचालन महेश कुमार अलेंद्र (सहायक प्राध्यापक संस्कृत) ने महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ श्रीमती अल्का मेश्राम एवम हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ कैलाश शर्मा के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ कैलाश शर्मा ने जीवन में गुरु की भूमिका विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा – गुरु–शिष्य सम्बन्ध कैसे होनी चाहिए ? गुरु के बिना ज्ञान कैसे संभव ? गुरु शब्द दो वर्णों से बना है गु + रु | गु का अर्थ अंधकार रु का अर्थ प्रकाश अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक | गुरु जीवन जीने की कला सिखाती है | गुरु कोई भी हो सकता है, व्याकरण के छंद प्रकरण में लघु, गुरु होता है जिसका अर्थ दीर्घ होता है | यह गुरु शिष्य की परंपरा नित चलने वाली प्रक्रिया है, जीवनभर शिक्षा ग्रहण करतें है, जिससे भी शिख मिले वही गुरु होता है | गुरु के अनेक रूप होतें हैं, जो व्यक्ति की जीवन सफल कर दे, तो गुरु की सार्थकता हो जाती है | इस प्रकार शिक्षा ग्रहण जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है इत्यादि विस्तार से व्याख्यान दी |
गुरु की महत्ता के बारें में कहते हैं –
गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागू पाय |
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दीयों बताय ||
वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक दिनेश कुमार सोनी ने गुरु के महत्व प्रकाश डालते हुए कहा – गुरु हमारे जीवन को सफल बनाने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है | जिस प्रकार मिटटी को अनेक रूप ढाला जा सकता है, उसी प्रकार शिष्य को ढाला जा सकता है | ये सब गुरु की कृपा पर निर्भर है | गुरु के अनेक रूप होते हैं चाहे माता, पिता, शिक्षक, आचार्य, मित्र हों, गुरु के प्रयास से ही व्यक्ति की सम्पूर्ण विकास होता है इसके अभाव में संभव नहीं हो सकता इत्यादि जानकारी दिए दिए |
कार्यक्रम के अंत में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक श्रीमती कौशल्या शास्त्री ने अतिथि वक्ता, समस्त प्राध्यापको, प्रतिभागियों व 28 छात्र-छात्राओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन की |