
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोजगार योजना की शुरुआत की। इस योजना का मकसद अगले दो साल में 3.5 करोड़ नौकरियों का सृजन करना है, जिसमें 1.92 करोड़ युवा पहली बार नौकरी शुरू करेंगे। इस योजना के तहत पहली बार निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाले युवाओं को 15,000 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी, और नौकरी देने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना का कुल बजट 99,446 करोड़ रुपये है, और यह खास तौर पर निजी क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
योजना के दो मुख्य हिस्से
PART A

पहली बार नौकरी करने वालों के लिए लाभ: जो कर्मचारी पहली बार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पंजीकृत होंगे और जिनका मासिक वेतन 1 लाख रुपये तक है, उन्हें 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी।
- पहली किस्त – 6 महीने की नौकरी पूरी करने पर।
- दूसरी किस्त – 12 महीने की नौकरी और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने पर।
- बचत को प्रोत्साहन – राशि का एक हिस्सा बचत खाते या जमा खाते में रखा जाएगा, जिसे कर्मचारी बाद में निकाल सकेंगे। यह कदम युवाओं में वित्तीय अनुशासन और बचत की आदत को बढ़ावा देगा।
- भुगतान का तरीका – सहायता राशि आधार ब्रिज भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के जरिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे कर्मचारी के बैंक खाते में जाएगी।
PART B
नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन लाभ: नियोक्ताओं को हर नए कर्मचारी के लिए, जिनका वेतन 1 लाख रुपये प्रति माह तक है, 3,000 रुपये प्रति माह की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि दो साल तक दी जाएगी।
विनिर्माण क्षेत्र को विशेष लाभ: विनिर्माण क्षेत्र में नियोक्ताओं को तीसरे और चौथे साल तक भी यह प्रोत्साहन मिल सकता है।
न्यूनतम भर्ती की शर्त
- 50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम 2 अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने होंगे।
- 50 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम 5 अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने होंगे।
भुगतान का तरीका: नियोक्ताओं को यह राशि उनके पैन-लिंक्ड बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जाएगी।
निरंतरता की शर्त: कर्मचारी को कम से कम 6 महीने तक लगातार नौकरी में रहना होगा।
योजना का महत्व:
- युवाओं के लिए अवसर: यह योजना उन युवाओं के लिए वरदान है जो पहली बार नौकरी शुरू कर रहे हैं। 15,000 रुपये की सहायता से उनकी आर्थिक शुरुआत मजबूत होगी।
- नियोक्ताओं को प्रोत्साहन: कंपनियों को नए कर्मचारी नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- आर्थिक विकास: 3.5 करोड़ नौकरियों का सृजन अर्थव्यवस्था को गति देगा और बेरोजगारी को कम करने में मदद करेगा।
- वित्तीय समावेशन: डीबीटी और वित्तीय साक्षरता जैसे कदमों से कर्मचारियों में वित्तीय जागरूकता और बचत की आदत बढ़ेगी।
