रायपुर। छत्तीसगढ़ के मदिरा प्रेमियों को पिछले पांच साल बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बाजार से मीडिल और हायर रेंज की शराब गायब थी। दुकान में जाओ तो कोई च्वाइस नहीं। देसी में तो चल जाता था मगर अंग्रेजी में लो स्टैंडर्ड की शराब मिलती थी। वो भी दूसरे राज्यों से 30 से 40 परसेंट अधिक दरों पर। पहुंच वाले बड़े लोग नागपुर या मध्यप्रदेश के सीमाई शहरों से पसंदीदा शराब मंगा लेते थे मगर मीडिल और लोवर क्लास को मन मारकर लोकल सप्लाई पर ही निर्भर रहना पड़ता था।
दरअसल, पिछली सरकार ने नियम बदलकर एफएल-10 लागू कर दिया था। याने शराब खरीदी का काम लायसेंसी सिस्टम के तहत बिचौलियों को दे दिया गया था। और बिचौलिया वही माल यहां सप्लाई करते थे, जिसमें उन्हें मोटा कमीशन मिलता था। शराब पर अभी भी विदेशी कंपनियों का वर्चस्व है और लोगों को डिमांड भी विदेशी कंपनियों को रहती है। और विदेशी कंपनियों कमीशन देती नहीं। इसलिए, लोकल कंपनियों ने बिचौलियों को मुंहमांगा पैसा देकर छत्तीसगढ़ में अपना मोनोपल्ली कायम कर लिया था।
सिम्बा के अलावा कोई बियर नहीं
लायसेंसी सिस्टम के दौरान गर्मी के दिनों में मदिरा प्रेमी बटवाइजर और कालबर्ग जैसे अच्छी ब्रांड के बियर पीने के लिए परेशान रहते थे। बड़े बियर-बार में तो कुछ ब्रांड मिल जाते थे मगर सरकारी दुकानों से गायब थी। बियर में सिर्फ लोकल कंपनी की सिमबा उपलब्ध होती थी। झक मारकर पीना है तो पीजिए नहीं तो नागपुर से मंगाइये।
अफसरों और बड़े नेताओं की पार्टियों में एक दिन पहले आदमी को नागपुर भेजा जाता था। वहां से फिर गाड़ी में भरकर लाई जाती थी स्टैंडर्ड ब्रांड की शराब। रास्ते में कोई पकड़े नहीं, इसलिए जुगाड़ लगाकर एकाध पुलिस वालों को भेजा जाता था, ताकि कहीं पकड़ाए तो बता सकें कि वीआईपी मामला है।
छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद दो महीने पहले जुलाई में लायसेंसी सिस्टम समाप्त कर फिर से पुरानी व्यवस्था कायम की गई थी। इसके तहत ब्रेवरेज कारपोरेशन ने शराब खरीदी का काम प्रारंभ किया। सरकार ने इसके लिए आईएएस श्याम धावडे को बस्तर कमिश्नर से वापस बुलाकर ब्रेवरेज कारपोरेशन की कमान सौंपी।
छत्तीसगढ़ में अब ब्रांड और उपलब्धता की दिक्कत नहीं जाएगी। धावड़े के अनुसार अभी तक 34 शराब कंपनियों से एग्रीमेंट किया गया है। उम्दा ब्रांड की 20 लाख पेटी का आर्डर किया गया था। माल बाहर से आना प्रारंभ हो गया है। उन्होंने कहा कि 10 से 15 सितंबर के बीच छत्तीसगढ़ की सभी दुकानों में ब्रांड और उपलब्धता का संकट समाप्त हो जाएगा। छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी शराब के सारे लेवल उपलब्ध होंगे।