नई दिल्ली- सहारा इंडिया की बचत योजनाओं में पैसा फंसा चुके लाखों निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को कड़ी फटकार लगाई है. सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा ग्रुप से कहा है कि वह अपनी संपत्ति बेचकर निवेशकों का पैसा लौटा सकता है. कोर्ट ने कहा कि सेबी-सहारा रिफंड खाते में 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए समूह को प्रॉपर्टी बेचने से कोई रोक नहीं सकता है. सहारा समूह को अपनी संपत्ति बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त, 2012 को निर्देश दिया था कि सहारा समूह की कंपनियां – एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल निवेशकों से जमा की गई राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को वापस करेंगी.

यह ब्याज धनराशि जमा करने की तारीख से पुनर्भुगतान की तारीख तक के लिए देय होगा. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सहारा समूह के अदालत के निर्देशानुसार राशि जमा नहीं करने पर नाराजगी जताई.

सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी को अपनी संपत्तियां बेचने का अवसर नहीं दिया गया. इस पर पीठ ने कहा कि न्यायालय के आदेश अनुसार 25,000 करोड़ रुपये में से बाकी 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए सहारा समूह पर अपनी संपत्तियां बेचने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है.

न्यायालय ने साथ ही जोड़ा कि संपत्तियों को सर्किल रेट से कम कीमत पर नहीं बेचा जाना चाहिए. इसे सर्किल रेट से कम कीमत पर बेचने की स्थिति में न्यायालय की पूर्व अनुमति लेनी होगी.
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