किफायती हवाई कंपनी गो फर्स्ट (GoFirst) के रातोंरात उड़ानें बंद करने से देश की लगभग सभी विमानन कंपनियों ने अपनी टिकटों के दाम (Flight Ticket) बढ़ा दिए हैं। कई हवाई मार्गों पर टिकट के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। गो फर्स्ट एक दिन में तकरीबन 200 उड़ानें भरती थी और करीब 30 हजार यात्री उसकी सेवा का इस्तेमाल करते थे। अब इसका प्रचालन बंद हो जाने से दूसरी कंपनियों में टिकटों की मांग काफी तेजी से बढ़ गई है। खास तौर पर उन मार्गों पर किराया और भी ज्यादा बढ़ गया है जिन पर गो फर्स्ट की उड़ानें आती-जाती थीं।

एक तरफ गो फर्स्ट ने उड़ानें कैंसिल कर दीं तो दूसरी तरफ उन्हें ऊंची कीमतों पर दूसरे एयरलाइन में टिकट बुक करवाना पड़ रहा है। आखिरी मौके पर टिकट बुक करवाने के चक्कर में उन्हें ऊंची कीमतों पर टिकट मिल रही हैं।  टिकटों की मारामारी और बढ़े दामों से परेशान यात्री इस संबंध में अपनी परेशानी सोशल मीडिया पर बयां कर रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक नई दिल्ली से मुंबई के बीच किराया पहले के लगभग 13,000 रुपये से बढ़कर 28,000 रुपये तक पहुंच गया था। वहीं दिल्ली से श्रीनगर के बीच टिकट का किराया 34,000 रुपये, मुंबई के लखनऊ के बीच किराया 17,000 रुपये और दिल्ली से पटना के बीच किराया 18,000 रुपये हो गया है। बता दें कि यह कीमतें लगभग दोगुनी से भी ज्यादा हैं।

अभी और बढ़ सकता है किराया

ट्रेवल एजेंट्स और टिकट बुकिंग पोर्टल्स का ऐसा अनुमान है कि अभी हवाई टिकटों के दाम और भी ऊपर जा सकते हैं। फिलहाल गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं और इस वक्त टिकट की मांग भी काफी ज्यादा रहती है। अगर गो फर्स्ट का ऑपरेशन कुछ और वक्त तक रुका रहता है तो टिकटों के दाम और भी ज्यादा बढ़ेंगे।

कैंसिल टिकटों का पैसा वापस नहीं मिल रहा

संकटग्रस्त विमान सेवा ने दिवालिया आवेदन दाखिल किया है और इसकी 12 मई तक सभी उड़ानें कैंसिल कर दी गई हैं। हजारों यात्री अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। उनमें से कई को एयरलाइन से क्रेडिट नोट प्राप्त हुए हैं, लेकिन यह कोई वास्तविक पैसा नहीं है। लोग जब ट्रैवल पोर्टल्स से संपर्क कर रहे हैं तो उनकी तरफ से सिर्फ इतना जबाव मिल रहा है कि जब उन तक पैसा पहुंचेगा तब पैसा वापस करेंगे। एक ट्रैवल एजेंट्स ने बताया कि यदि लोग ट्रैवल एजेंटों के माध्यम से टिकट बुक करते हैं, तो रिफंड के मामले में राशि उनके खातों में नहीं, बल्कि विशेष एयरलाइन के वॉलेट में भेजी जाती है। इसका उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब पैसेंजर उसी एयरलाइन पर फिर से फ्लाइट बुक करता है। ऐसे मामले में, हम अपने ग्राहकों को कोई रिफंड करने में असमर्थ हैं।

आगे उड़ान भरने की संभावना कम

संकट में चल रही विमान कंपनी गो फर्स्ट की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब पट्टेदारों ने भी अपने विमानों का पंजीकरण कैंसिल करने की अर्जी देनी शुरू कर दी है। अब तक कुल 20 विमान वापस लेने की याचिका डाली गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पट्टादाताओं का विवरण और उनके अनुरोध को अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। विशेषज्ञों के मानें तो जब भी ऐसी कोई मांग आती है तो डीजीसीए को पांच कार्य दिवसों में विमान का पंजीकरण कैंसिल करना शुरू करना होता है। उसका विवरण अपनी वेबसाइट पर भी देना होता है।

हालांकि, अब तक यह साफ नहीं है कि गो फर्स्ट इस पर कानूनी चुनौती देने की योजना बना रहा है या नहीं? संभव है कंपनी की उड़ान के स्लॉट भी अन्य कंपनियों में वितरित कर दिए जाएं। स्लॉट 5 से 20 मिनट का निर्धारित समय होता है जिसमें उड़ान उड़ान भर सकता है या उतर सकता है। यह स्लॉट विमान सेवा की कमाई पर असर डालते हैं।

कंपनी पर कितना है कर्ज: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, गो फर्स्ट ने अपनी दिवालिया अर्जी में कहा है कि उसके पास 6,521 करोड़ रुपये की देनदारी है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का कर्ज 1,987, बीओबी ने 1,430 करोड़ रुपये का कर्ज और ड्यूश बैंक ने 1,320 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है।

बैंक कर्मचारी संघ ने किया विरोध: अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने कहा है कि यदि गो फर्स्ट उसके ऋण के एक हिस्से को बट्टे खाते में डाले जाने के मकसद से स्वैच्छिक दिवाला याचिका दायर करती है, तो वह इसका विरोध करेगा।

एयर इंडिया ने निकाली भर्ती: वाडिया ग्रुप की एयलाइन गो फर्स्ट संकट में क्या आई, उनके पायलटों पर प्रतिस्पर्धी कंपनियां डोरे डालने लगी हैं। टाटा ग्रुप की कंपनी एयर इंडिया ने तो बाकायदा एक्सपेरिएंस्ड पायलटों की भर्ती के लिए विज्ञापन भी निकाल दिया। वैसे भी गो फर्स्ट का ऑपरेशन बंद होने के बाद इसके सैकड़ों पायलट और अन्य कर्मचारी सकते में हैं। उनके बीच दहशत का माहौल है। टाटा ग्रुप की कंपनी एयर इंडिया ने फिलहाल कैप्टन और को-पायलटों की भर्ती निकाली है।

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