रायगढ़ से श्याम भोजवानी 

घरघोड़ा। छत्तीसगढ़ सरकार भले ही जो तर्क़ प्रस्तुत करे राज्य में रोजगार को लेकर परंतु ज़मीनी हकीकत कुछ और बयां करती है, जिस तरह से रोजगार पंजीयन कार्यालय में बेरोजगारों की भीड़ उमड़ पड़ी है पंजीयन पोर्टल में लोड बढ़ने से लॉक हो गया है, इससे जग जाहिर होता है सरकार की कथनी व राज्य की हाल ए सूरत अलग अलग है।

प्रदेश में उद्योग हब के नाम से पहचाना जाने वाला जिला रायगढ़ में बेरोजगारी चिक चिक कर अपने होने का प्रमाण दे रही है, उद्योग, खदान व कम्पनियों का जाल बिछाया गया है, फिर भी युवा बेरोजगार अपने भविष्य की चिंता करते हुए हड़ताल आन्दोलन कर रोजगार की मांग कर रहे हैं। जिले के सबसे बड़े खदान परिक्षेत्र में आने वाला घरघोड़ा एरिया में कार्य करने वाले एकता वाहन चालक कल्याण समिति के सदस्यों द्वारा एसईसीएल उपक्षेत्रीय प्रबंधक बरौद बिजारी कार्यालय के मुख्य गेट में हड़ताल पर हैं।

जिसमें मुख्य मांग स्थानीय शिक्षित बेरोजगारों को योग्यता अनुरूप रोजगार देने की बात कही गई है, सिर्फ वाहन चालक के रूप में ठेका कंपनियों के माध्यम से रोजगार देकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है देश का अग्रेणी कोयला उत्पादन करने वाली एसईसीएल विभाग, वाहन चालक कल्याण समिति द्वारा सालों से अपनी मांग सरकार के पास रखती आई है, समिति ने प्रमुखता से संदर्भित विभाग एसईसीएल हो या कलेक्टर से कमिश्नर तक अपनी समस्या को उनके पटल पर रखते हुए, गंभीरता पूर्वक इस आवश्यक मांग पर विचार करने का आग्रह बार बार किया जा रहा है।

वाहन चालक कल्याण समिति के सदस्यों से बात करने पर बताया गया कि एसईसीएल हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है सिर्फ कागजों का खेल खेला जा रहा है, इस कारण मुख्य गेट पर हड़ताल पर बैठे हैं, हमारा हक अधिकार है जो हमें मिलना चाहिए जिसमें वेतन विसंगति को दूर कर एचपीसी दर से वेतन भुगतान करने व बरौद बिजारी खदान अंतर्गत संचालित ठेका कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों से आठ घण्टे कार्य कराने से लेकर स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग करते आ रहे हैं, जिसके लिए कार्यालयों में आवेदन निवेदन कर कर के चप्पलें घिस गई।

मजबूरन थक-हार के एसईसीएल के मुख्य दरवाज़े के सामने हड़ताल कर अपने समस्याओं की ओर अधिकारीयों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, इतने पर समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता है तो फिर आन्दोलन वृहद होगा, जिससे खदान भी अनिश्चितकालीन के लिए बंद करना पड़ सकता है जिसकी जिम्मेदारी अधिकारीयों की होगी। खदान के अंदर नियमों के अनुसार कार्य नहीं होता है किसी तरह का छोटे कर्मचारियों को सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसे अनेक विषयों पर विभाग को गंभीर होना चाहिए, कर्मचारियों के सुविधा से लेकर बिमा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, भविष्य निधि, पर ध्यान देना चाहिए खदान क्षेत्र में कार्य स्थल पर पीने के लिए स्वच्छ पानी तक उपलब्ध नहीं है।

धुल से सांसे फूल रही हैं, पड़ोसी राज्य के खदानों में सड़कों में स्प्रिंकलर के माध्यम से कार्य अवधि तक लगातार पानी छिड़काव होतें रहते है, कोल इंडिया का एक मात्र ऐसा विभाग है एसईसीएल जो कमाई सबसे ज्यादा करता है, पर सुविधा व्यवस्था के मामले में सबसे निचले पायदान पर दिखाई देता है। क्षेत्र लगातार क्षीण हो रहा है वहीं क्षेत्र के निवासी रोजगार सुविधा विहिन है, एसईसीएल इस क्षेत्र का वह बबुल का विकास की पेड़ है जिससे सरकार, विभाग व उद्योगपति, पूंजीपति खुब फल फूल रहे हैं, परन्तु स्थानीयों को कांटों के सिवा हासिल कुछ नहीं?

यह विकास कैसा जहां रोजगार जैसे मूलभूत अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। एसईसीएल के अंतर्गत कार्य करने वाले ठेका कंपनी मेसर्स एस.के. एसोसिएट, हर्ष इन्टरप्राइजेज, शाह कोल कम्पनी, विपुल कोल कैरियर्स प्रा.लि., आर.के.टी.सी.,आर्य प्रसाद जे.व्ही., रानी सती कोल कैरियर, मेसर्स में कार्यरत कर्मचारियों को ठेका कर्मी का दर्जा दिया जाता है, जबकि यह स्थानीय लोग हैं जो कोयला उत्पादन के लिए अपनी भूमि देकर रोजगार आर्थिक विकास की आस में सबकुछ सौंप दिया सरकार को, नतिजा आज स्थानीय कुछ कर्मचारी जिनका पूर्ण अधिकार बनता है, उद्योग खदान स्थापित होने वाले क्षेत्र में कंपनी संविधान अंतर्गत हकदार सीधे एसईसीएल के विभाग का हिस्सा होना था वह ठेकेदार के अंदर कार्य करने वाला नौकर बनकर रह गये है, स्थानीयों के साथ यह घोर अन्याय है स्थानीय निवासी कहते हैं जमीन हमारी जल जंगल हमारा …

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