छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण विधेयक भले ही राज्यपाल के पास अटक गया हो लेकिन सरकार में इसे लागू करने की तैयारी तेज है। आरक्षण रोस्टर को नये सिरे से बनाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग-GAD ने अफसरों की एक समिति बना दी है। इधर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के पोटाई धड़े ने राज्यपाल से मुलाकात कर उनको मिले आरक्षण में 10% का इजाफा करने की मांग पेश की है।
सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने राज्य सरकार और जिला कॉडर की भर्तियों का आरक्षण रोस्टर तय करने के लिए पांच अफसरों की एक समिति का गठन किया। GAD के विशेष सचिव के.डी. कुंजाम को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव एम.डी. दीवान, स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव एम.आर. ठाकुर और योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के संयुक्त सचिव जी.एल. सांकला को इसमें सदस्य बनाया गया है।
इनके अलावा आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अनुसंधान सहायक अधिकारी डॉ. अनिल कुमार विरुलकर भी इस समिति में सदस्य के तौर पर रखा गया है। समिति से कहा गया है कि वह यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव को दे। इससे पहले सरकार GAD के संयुक्त सचिव के.डी. कुंजाम को आरक्षण फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका का नोडल अधिकारी बना चुकी है।
सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कुंजाम की ओर से ही शपथपत्र आदि लगाया गया है। राज्य विधानसभा ने दो अक्टूबर को आरक्षण के अनुपात में संशोधन करते हुए दो विधेयक पारित किए। इसमें अनुसूचित जाति को 13%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का प्रावधान है।
सामान्य वर्ग के गरीबों को भी 4% आरक्षण दिया गया है। जिला कॉडर की नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजाति को संबंधित जिले में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाना है। अन्य पिछड़ा वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में लेकिन अधिकतम 27% तक आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को भी जिलों मेंं उनकी जनसंख्या के अनुपात में और अधिकतम 4% का आरक्षण मिलना है।